Shani Dosh Nivaran: शनिवार के दिन पूजा करने पर मिलता है शनि दोष से छुटकारा, जानें शनिदेव की पूजा करने की विधि और मंत्र…

Shani Dosh Nivaran: हर शनिवार शनि देवता कि पूजा की जाती है. शनिवार के दिन पूजा करने पर शनिदेव भगवान की कृपा होती है. मान्यता है कि अगर पूजा सही तरीके से की जाए तो इससे शनिदेव की असीम कृपा मिलती है और ग्रहों की दशा भी सुधरती है. यहां जानिए कि हर शनिवार शनिदेव की पूजा कैसे की जाती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 3, 2020 7:45 AM

Shani Dosh Nivaran: हर शनिवार शनि देवता कि पूजा की जाती है. शनिवार के दिन पूजा करने पर शनिदेव भगवान की कृपा होती है. मान्यता है कि अगर पूजा सही तरीके से की जाए तो इससे शनिदेव की असीम कृपा मिलती है और ग्रहों की दशा भी सुधरती है. यहां जानिए कि हर शनिवार शनिदेव की पूजा कैसे की जाती है.

जानें पूजा विधि

1. हर शनिवार मंदिर में सरसों के तेल का दीया जलाएं. इसके बाद ध्यान रखें कि यह दीया उनकी मूर्ति के आगे नहीं बल्कि मंदिर में रखी उनकी शिला के सामने जलाएं और रखें.

2. अगर आस-पास शनि मंदिर ना हो तो पीपल के पेड़ के आगे तेल का दीया जलाएं. अगर वो भी ना हो तो सरसों का तेल गरीब को दान करें.

3. शनिदेव को तेल के साथ ही तिल, काली उदड़ या कोई काली वस्तु भी भेंट करें.

4. भेंट के बाद शनि मंत्र या फिर शनि चालीसा का जाप करे.

5. शनि पूजा के बाद हनुमान जी की पूजा करें. उनकी मूर्ति पर सिन्दूर लगाएं और केला अर्पित करें.

6. शनिदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें: ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:

जानें शनिदेव की मूर्ति पर तेल चढ़ाने की वजह

शनिवार के दिन हर शनि मंदिर पर हम लोगों को शनिदेव की मूर्ति पर तेल चढ़ाते देखते हैं. हम में से ज्यादातर लोगों को आज तक इसके पीछे की वजह के बारे में साफ तौर पर कुछ नहीं पता है. ऐसा करने के पीछे एक पुरानी कथा है. मान्यता है कि शनिवार के दिन शनिदेव पर तेल चढ़ाने से साढ़ेसाती खत्म हो जाती है और उनकी कृपा मिलती है.

क्यों और कितनी बार करनी चाहिए मंदिर में परिक्रमा

आपने हमेशा लोगों को पूजा की थाली या धूप बत्ती लिए पेड़ या मंदिर के गोल-गोल चक्कर लगाते हुए देखा होगा. कोई एक चक्कर, कोई दो तो कोई सात चक्कर लगाता है. मंदिरों में ही नहीं बल्कि गुरुद्वारों में भी पाठ के बाद लोग चक्कर लगाते हैं. इतना ही नहीं, लोग सुबह-सुबह सूर्य पूजा के दौरान भी गोल-गोल घूमने लग जाते हैं. क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा वो क्यों करते है? क्यों लोग मंदिरों गुरुद्वारों के चक्कर लगाते हैं. श्रृद्धालुओं की मानें तो उनके अनुसार ऐसा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

ये कथा रामायण काल से जुड़ी है. जब हनुमान जी के बल और पराक्रम से सभी अवगत थे. शनिदेव और हनुमान जी दोनों मित्र भी थे. लेकिन एक दिन शनिदेव को अपनी शक्ति पर घमंड हो गया. इस बीच शनिदेव ने हनुमान को युद्ध के लिए ललकारा. हनुमान जी राम भक्ति में लीन थे, उसके बावजूद शनिदेव ने हनुमान से युद्ध करना चाहा. दोनों के बीच घमासान युद्ध हुआ. शनिदेव को काफी चोटें आईं क्योंकि हनुमान जी शनिदेव से अधिक बलशाली थे.

News Posted by: Radheshyam Kushwaha

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