Shani Dev Puja: शनिदेव को नीले और आक के फूल है बहुत प्रिय, सिर्फ एक फूल से पा सकते है साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत, जानें इसका महत्व…

Shani Dev Puja: शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है. मान्यता है कि शनिवार के दिन पूजा करने पर शनिदेव प्रसन्न होते है. शनि को सभी ग्रहों में क्रूर ग्रह माना जाता है. शनि की दृष्टि जिस पर पड़ती है उसे परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कुछ मामलों में शनि शुभ फल भी प्रदान करते है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 6, 2021 5:34 AM

Shani Dev Puja: शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है. मान्यता है कि शनिवार के दिन पूजा करने पर शनिदेव प्रसन्न होते है. शनि को सभी ग्रहों में क्रूर ग्रह माना जाता है. शनि की दृष्टि जिस पर पड़ती है उसे परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कुछ मामलों में शनि शुभ फल भी प्रदान करते है.

शनि एक न्याय प्रिय ग्रह भी है. शनि व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर शुभ और अशुभ फल देने का कार्य करते हैं. मान्यता है कि जो व्यक्ति अच्छे कार्य करता है उसे शनिदेव शुभ फल प्रदान करते हैं. वहीं जब कोई व्यक्ति बुरे कार्य करता है तो शनि उसे कठोर दंड देने का कार्य करते हैं.

शनिदेव इस समय मकर राशि में गोचर कर रहे हैं. शनि का इस वर्ष कोई राशि परिवर्तन नहीं है. शनिदेव बीते 22 जनवरी को नक्षत्र परिवर्तन कर चुके है. शनि ग्रह इस समय अस्त है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब कोई ग्रह अस्त हो जाता है तो उसके प्रभाव में कमी आ जाती है. अब 10 फरवरी की रात 1 बजकर 30 मिनट पर शनि फिर से उदय हो रहे है. शनिदेव मकर राशि में इस समय गुरू, सूर्य और शुक्र विराजमान हैं.

मिथुन और तुला राशि पर है शनि की ढैय्या

मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है. वहीं धनु, मकर और कुंभ राशि शनि की साढ़ेसाती चल रही है. इसलिए इन 5 राशियों को शनिवार के दिन शनि का दान और शनि को प्रसन्न करने का प्रयास करना चाहिए.

आक के फूल से करें पूजा

शनिदेव को नीले फूल और आक के फूल बहुत प्रिय है. इसे मदार का फूल भी कहा जाता है. शनिवार को आक के फूल चढ़ाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. इस फूल से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं. शनिवार के दिन साबुत उड़द को दान करने से भी शनि की अशुभता दूर करने में मदद मिलती है. शनिवार के दिन सरसों के तेल का दान करने से भी शनिदेव खुश होते हैं.

शनि का मंत्र

ॐ शं शनैश्चराय नम:

ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:

Posted by: Radheshyam Kushwaha

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