रोजा इफ्तार में खजूर खाने की खास वजह, जानिए इसका धार्मिक महत्व
Ramadan 2025: रमजान के महीने में अधिकांश मुस्लिम समुदाय 30 दिनों तक उपवास रखते हैं. दिनभर वे पानी का भी सेवन नहीं करते, लेकिन शाम के समय रोजा इफ्तार करते हैं. इस प्रक्रिया में खजूर का विशेष महत्व होता है, जिसे इस्लाम में सुन्नत के रूप में स्वीकार किया गया है. उपवास को खजूर खाकर ही खोला जाता है.
Ramadan 2025: रमजान का पवित्र महीना 2 मार्च से शुरू हो चुका है. इस्लाम धर्म के लिए यह महीना बेहद खास होता है. कई लोग इस महीने में रोजा रखते हैं.रोजेदार सूर्योदय से सूर्यास्त तक क बिना कुछ खाए-पिए रहते हैं और इफ्तार के समय रोजा खोलते हैं.
इफ्तार की शुरुआत प्रायः खजूर से होती है. यह परंपरा न केवल स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके पीछे कई धार्मिक कारण भी विद्यमान हैं. आइए समझते हैं कि रोजा खोलने के लिए सबसे पहले खजूर का सेवन क्यों किया जाता है.
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रमजान के महीने में इफ्तार के समय सबसे पहले खजूर खाने की परंपरा पैगंबर मुहम्मद से संबंधित है. हदीस में उल्लेख है कि वह रोजा खोलने के लिए खजूर का सेवन करते थे. यदि खजूर उपलब्ध नहीं होती, तो वह पानी से रोजा खोलते थे.
खजूर का धार्मिक महत्व
- इस्लाम में खजूर को एक पवित्र और बरकत वाली चीज माना गया है.
- यह कुरआन और हदीस में कई बार उल्लेखित हुआ है.
- खजूर का सेवन करने से रोजेदार को रोजा खोलने का पुण्य मिलता है और यह इबादत का हिस्सा माना जाता है.
खजूर की विभिन्न प्रजातियों की बात करें तो लगभग 200 प्रकार के खजूर विश्वभर में पाए जाते हैं. हालांकि, रमजान के महीने में रोजेदार इफ्तार के लिए विशेष प्रकार के खजूर खरीदने और उन्हें खाने की कोशिश करते हैं, जिसके कारण इनकी कीमतें बाजार में बढ़ जाती हैं. इन 200 प्रजातियों में से कुछ खजूरों की मांग अधिक है, जिनमें अजवा खजूर को विशेष महत्व दिया जाता है. यह खजूर धार्मिक प्रतीक के रूप में भी माना जाता है, जिसके कारण इसकी मांग मुस्लिम समुदाय में अधिक होती है.
