Pradosh Vrat December 2025: आज है साल का आखिरी प्रदोष व्रत, जानिए पूजा का शुभ समय

Pradosh Vrat December 2025: आज साल 2025 का आखिरी प्रदोष व्रत रखा जा रहा है. यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और प्रदोष काल में की गई पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से शिव पूजन करने से कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

By Shaurya Punj | December 17, 2025 5:40 AM

Pradosh Vrat December 2025: हिंदू धर्म में भगवान शिव को कल्याण, करुणा और शीघ्र फल देने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है. सनातन परंपरा में यह मान्यता है कि भगवान शिव अपने भक्तों की सच्ची आस्था से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. यही कारण है कि उन्हें जल, बेलपत्र और साधारण पूजन से भी मनचाहा वरदान देने वाला देव कहा गया है. शिव उपासना के लिए जहां सोमवार और महाशिवरात्रि विशेष मानी जाती है, वहीं प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को आने वाला प्रदोष व्रत भी अत्यंत फलदायी माना गया है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत रखने से जीवन में व्याप्त नकारात्मकता, दोष और बाधाएं दूर होती हैं. इस व्रत में खास तौर पर प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि इस समय की गई आराधना से साधक की मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं.

कब है साल 2025 का अंतिम प्रदोष व्रत?

वर्ष 2025 का अंतिम प्रदोष व्रत 17 दिसंबर को रखा जाएगा. पंचांग के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 16 दिसंबर की रात 11 बजकर 58 मिनट पर हो चुका है, जबकि इसका समापन 18 दिसंबर को दोपहर 2 बजकर 33 मिनट पर होगा. ऐसे में 17 दिसंबर को पूरे दिन त्रयोदशी तिथि रहेगी और इसी दिन प्रदोष व्रत रखा जाएगा. चूंकि यह व्रत बुधवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा.

बुध प्रदोष व्रत का शुभ पूजा मुहूर्त

बुध प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करना श्रेष्ठ माना जाता है. 17 दिसंबर को प्रदोष काल शाम 5 बजकर 27 मिनट से रात 8 बजकर 11 मिनट तक रहेगा. इस समय विधि-विधान से शिव पूजन करने पर व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.

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प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले संकट धीरे-धीरे समाप्त होने लगते हैं. इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, पुष्प, धूप और दीप अर्पित करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि लगातार 11 प्रदोष व्रत रखने से सभी पाप और दुख दूर होते हैं तथा भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. विवाह की इच्छा रखने वाली कन्याओं के लिए इस दिन माता पार्वती को लाल चुनरी अर्पित करना विशेष फलदायी माना गया है.