Pitru Paksha 2025: 21 या 22 सितंबर, पितृ पक्ष कब खत्म होगा, जानें महालया अमावस्या कब

Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष या पितृपक्ष 2025 का अंतिम दिन महालया अमावस्या है, जो 21 सितंबर को पूर्ण होगी (अमावस्या तिथि प्रारंभ होगी 21 सितंबर की रात 12:16 बजे और समाप्त होगी 22 सितंबर की लगभग 1:23 बजे). इस दिन पूर्वजों की तर्पण, श्राद्ध पिंडदान और पूजा-पाठ कर उन्हें सम्मान दिया जाता है.

By JayshreeAnand | September 20, 2025 10:50 AM

Pitru Paksha 2025: सनातन परंपरा में पितृ पक्ष का बहुत बड़ा महत्व है. यह 15 दिन का समय पूर्वजों को याद करने, उनका श्राद्ध और तर्पण करने का अवसर देता है. माना जाता है कि इस समय में पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों पर आशीर्वाद बरसाते हैं. इस बार पितृ पक्ष का समापन 21 सितंबर को सर्व पितृ अमावस्या पर होगा. यह दिन पितरों को विदा करने और उनकी कृपा पाने का अंतिम अवसर होता है.

 इस दिन किए जाने वाले खास उपाय

दीपदान का महत्व

सर्व पितृ अमावस्या की संध्या को घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में गौघृत का दीपक जलाएं. इसमें थोड़े काले तिल डाल दें. कहा जाता है कि इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर-परिवार पर लक्ष्मीजी की कृपा बनी रहती है.

 ब्राह्मण भोजन और दान

इस दिन ब्राह्मणों को आदरपूर्वक भोजन कराना शुभ माना जाता है. भोजन के बाद उन्हें वस्त्र और दक्षिणा भेंट करें. इससे पितर प्रसन्न होते हैं और वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.

 तुलसी पूजा

शाम को तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं. तुलसी को लक्ष्मीजी का स्वरूप माना गया है. ऐसा करने से परिवार में शांति और धन-धान्य की वृद्धि होती है.

 पीपल की परिक्रमा

पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर उसकी परिक्रमा करें. पीपल में सभी देवी-देवताओं और पितरों का वास माना जाता है. यह उपाय पितृदोष को कम करने में सहायक है.

 दान-पुण्य का फल

जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन दान करें. इससे न केवल पितर तृप्त होते हैं, बल्कि घर-परिवार में समृद्धि और सुख-शांति आती है.

 पंचबलि का महत्व

गाय, कुत्ते, कौवे, देवताओं और चींटियों को अन्न अर्पित करना ‘पंचबलि’ कहलाता है. यह कर्म पूर्वजों की आत्मा को तृप्त करने का विशेष तरीका माना जाता है.

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