Paush Purnima 2022:आज रखा जा रहा है पौष पूर्णिमा व्रत,नोट कर लें चंद्रोदय का समय और इस दिन का महत्व जानें

Paush Purnima 2022: पंचांग के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पौष पूर्णिमा कहते हैं. पौष पूर्णिमा के दिन व्रत रखा जाता है. इस दिन चंद्रमा और देवी लक्ष्मी की पूजा विधि विधान से की जाती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 17, 2022 7:38 PM

Paush Purnima 2022: पौष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पौष पूर्णिमा कहते हैं. मान्यता के अनुसार पौष पूर्णिमा के दिन व्रत रख कर चंद्रमा और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से धन में वृद्धि होती है और जीवन में सुख समृद्धि आती है. पौष पूर्णिमा कल है इसलिए यह व्रत 17 जनवरी दिन सोमवार को रखा जा रहा है.जानें पौष पूर्णिमा का चंद्रोदय कब होगा?

पौष पूर्णिमा 2022 तिथि

पौष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 17 जनवरी दिन सोमवार को तड़के 03 बजकर 18 मिनट पर हो रहा है. पूर्णिमा तिथि 18 जनवरी दिन मंगलवार को प्रात: 05 बजकर 17 मिनट तक है. पूर्णिमा के चंद्रमा का उदय 17 जनवरी को होगा, इसलिए पौष पूर्णिमा 17 जनवरी को है. इसी दिन पौष पूर्णिमा व्रत भी रखा जाएगा.

पौष पूर्णिमा 2022 चंद्रोदय समय

पौष पूर्णिमा के दिन चंद्र उदय का समय शाम को 05 बजकर 10 मिनट पर है.

पौष पूर्णिमा सर्वार्थ सिद्धि योग में

पौष पूर्णिमा सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 04:37 बजे से अगले दिन 18 जनवरी को प्रात: 07:15 बजे तक है. पूर्णिमा को पूर्णमासी भी कहते हैं, इसलिए इस दिन के चांद को पूर्णमासी चांद भी कहा जाता है. पूर्णमासी का अर्थ उस मास के पूर्ण होने से है. पूर्णिमा के बाद से नए महीने की शुरुआत होती है. इस दिन व्रत रख कर चंद्र पूजन और माता लक्षमी की पूजा से जीवन में आने वाली धन संबंधी परेशानी दूर हो जाती है साथ ही दांपत्य जीवन में आने वाली समस्या का भी समाधान होता है.

17 जनवरी को है नए साल की पहली पूर्णिमा

नए साल की पहली पूर्णिमा 17 जनवरी दिन सोमवार को है. इस दिन बनारस में दशाश्वमेघ तथा त्रिवेणी संगम में स्न्नान का बहुत धार्मिक महत्व माना गया है एवं इस तिथि पर ही शाकंभरी देवी की जयंती मनाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि भक्तों द्वारा इस दिन की जाने वाली पूजा एवं व्रत का विशेष पुण्य प्राप्त होता है. पौष पूर्णिमा पर स्नान-दान से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसी दिन से कल्पवास की शुरुआत भी हो जाती है.

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