Paush Month 2025: कल से पौष माह का आरंभ, जानें इस महीने का धार्मिक महत्व

Paush Month 2025: यह पौष मास कल से शुरू हो रहा है और धार्मिक दृष्टि से बेहद खास माना जाता है. इस पूरे महीने सूर्यदेव की आराधना, दान-पुण्य और पितरों की शांति के लिए किए जाने वाले कर्मों का महत्व बढ़ जाता है. ठंड के इस समय में शुभ कार्य भले रुक जाते हैं, लेकिन पुण्य कमाने के अवसर बढ़ जाते हैं.

By Shaurya Punj | December 4, 2025 2:51 PM

Paush Month 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, 5 दिसंबर 2025 से नया महीना शुरू हो रहा है — पौष मास. यह साल का दसवाँ महीना है, और ठंड के आखिर दौर में आता है. इस दौरान सूर्यदेव की गति मंद पड़ जाती है, इसलिए इसे कई संस्कारों और शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं माना जाता. विवाह, गृह प्रवेश या कोई भी नए काम के लिए पौष महीने में मंगल नहीं होता. इसलिए शादी-ब्याह, नए प्रोजेक्ट्स या शुभ शुरुआत टालने की सलाह दी जाती है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पूरा महीना फीका हो जाए. बल्कि, पौष को पुण्य, तर्पण और पूजा-पाठ के लिए बहुत शुभ माना जाता है.

क्यों है दिन-रात पूजा-दान और पिंडदान ज़रूरी?

पौष मास में सूर्य देव की पूजा का बहुत महत्व है. इस अवधि को ‘छोटा पितृ-पक्ष’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह पितृतर्पण, पिंडदान और श्राद्ध जैसे कर्मों के लिए उपयुक्त माना जाता है. मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करना शुभ रहता है. इस मास की अमावस्या और पूर्णिमा का भी विशेष धार्मिक महत्व है — स्नान और श्रद्धा से मनोकामनाएँ पूरी होती हैं, संकट व बाधाएं दूर होती हैं.

पौष मास में क्या करें, क्या न करें

  • गुड़, तिल, गर्म कपड़े, कंबल आदि दान करें.
  • जरूरतमंदों को दान और मदद करें.
  • पितरों के लिए तर्पण या पिंडदान करें.
  • स्नान या पूजा-पाठ करने के दौरान सफाई व शांति रखें.

पौष मास में क्या न करें

  • विवाह, नए व्यवसाय या शुभ शुरुआत न करें.
  • ठंडी चीजें, बहुत ठंडे पानी से स्नान, मेवे-तेल-घी का अधिक सेवन न करें.
  • अनावश्यक खर्च या शोभा-खर्च न करें.

पौष मास: सुहावना, सादगी भरा और पुण्यदायी

पौष मास का मतलब सिर्फ ‘ठंड’ नहीं — बल्कि संयम, पुण्य, श्रद्धा और सामाजिक संवेदनशीलता है. इस महीने में जब आप दान-पुण्य करके, पितरों के लिए तर्पण करके या जरूरतमंदों की मदद करके पुण्य कमाते हैं — तो वही आपको आंतरिक शांति, पुण्य और आत्मिक संतुष्टि देते हैं. इसलिए, इस पौष में शुभारंभ को टालकर — पूजा-दान, सेवा-भाव और साधना पर अपना पूरा ध्यान दें