Parivartini Ekadashi 2025: कब मनाई जाएगी परिवर्तिनी एकादशी, 02 या 03 सितंबर, यहां जानें सही डेट

Parivartini Ekadashi 2025: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को मनाई जाने वाली परिवर्तिनी एकादशी का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में करवट बदलते हैं. कई लोग उलझन में हैं कि व्रत 2 या 3 सितंबर को होगा. यहां जानें परिवर्तिनी एकादशी की सही तिथि और शुभ मुहूर्त.

By Shaurya Punj | September 1, 2025 9:37 AM

Parivartini Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी तिथियों का विशेष महत्व माना जाता है. वर्षभर में कुल 26 एकादशियां आती हैं, जिनमें हर महीने दो एकादशियां होती हैं. इन्हीं में से एक है परिवर्तिनी एकादशी, जिसे भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि पर रखा जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हुए करवट बदलते हैं, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है. कई स्थानों पर इसे पदमा एकादशी या जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है.

इस वर्ष परिवर्तिनी एकादशी का व्रत 3 सितंबर 2025, बुधवार को रखा जाएगा. खास बात यह है कि इस दिन रवि योग का संयोग भी बन रहा है, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है.

Parivartini Ekadashi 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

  • परिवर्तिनी एकादशी 2025 : तिथि और शुभ मुहूर्त
  • एकादशी तिथि प्रारंभ : 3 सितंबर सुबह 04:53 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त : 4 सितंबर सुबह 04:21 बजे
  • पूजा का शुभ मुहूर्त : सुबह 07:35 से 09:10 बजे तक

इस अवधि में भगवान विष्णु की पूजा करना विशेष फलदायी माना गया है.

परिवर्तिनी एकादशी पूजन विधि

  • प्रातः स्नान कर सूर्य देव को जल अर्पित करें.
  • पीले वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु व गणेश जी की विधिवत पूजा करें.
  • भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी पत्र अर्पित करें.
  • गणेश जी को दूर्वा और मोदक चढ़ाकर उनका आशीर्वाद लें.
  • पहले गणेश जी फिर भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें.
  • जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, जल या छाता दान करें.
  • व्रत के दिन अन्न का सेवन न करके फलाहार या जलाहार ग्रहण करें.

परिवर्तिनी एकादशी का महत्व

एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है. इस दिन श्रीहरि की पूजा-अर्चना करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. मान्यता है कि उनके आशीर्वाद से घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है. इस अवसर पर मंदिरों में लक्ष्मी-नारायण की विशेष पूजा की जाती है और दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है.