Navratri Kalash Visarjan: कैसे करें कलश विसर्जन? जानिए मंत्र और सही विधि
Navratri Kalash Visarjan: नवरात्रि का त्योहार पूरे देश में बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है. नौ दिनों तक विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है और अंत में कलश विसर्जन तथा दुर्गा विसर्जन के साथ यह पर्व सम्पन्न होता है.आइए जानते हैं कलश विसर्जन की सही विधि.
Navratri Kalash Visarjan: इस साल शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू हुई थी. अष्टमी 30 सितंबर और नवमी 1 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इसके बाद 2 अक्टूबर 2025 को दशहरा और दुर्गा विसर्जन होगा, और इसी दिन कलश का विसर्जन भी किया जाएगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार, जैसे नवरात्रि के पहले दिन विधिपूर्वक कलश स्थापित किया जाता है, उसी तरह समापन के समय कलश का विसर्जन भी पूरी विधि और नियमों के अनुसार करना चाहिए. इसमें यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि कलश के अंदर रखी गई सामग्री को किस प्रकार विसर्जित किया जाए और पूजा के दौरान कौन-कौन सी चीजें शामिल करें.
कलश विसर्जन की विधि
कलश विसर्जन की शुरुआत सबसे पहले कलश पर रखे नारियल को निकालकर प्रसाद के रूप में बांटने से होती है. इसके बाद कलश में रखा पानी आम के पत्तों से पूरे घर में छिड़क दें. यह पानी नेगेटिव एनर्जी को दूर करने और घर में शुभता लाने वाला माना जाता है. आप चाहें तो इसे पीपल के पेड़ की जड़ों में भी चढ़ा सकते हैं. अंत में, मिट्टी से बने कलश को गंगाजी में प्रवाहित कर दें. यदि कलश में लौंग, सुपारी या कमल गट्टे जैसी सामग्री रखी हो, तो उन्हें भी पानी में प्रवाहित कर दें. इस पूरी प्रक्रिया को करने से पूजा पूर्ण और सफल मानी जाती है.
इस समय करें कलश विसर्जित
वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की दशमी तिथि 1 अक्टूबर की शाम 7:01 बजे से शुरू होकर 2 अक्टूबर की शाम 7:10 बजे तक रहेगी. इस दिन दशहरा मनाया जाएगा और उसी दिन दुर्गा विसर्जन के साथ कलश विसर्जन भी किया जाएगा. इस अवसर पर भक्त मां दुर्गा को विदाई देकर कलश का विसर्जन करते हैं, जिसे अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना जाता है.
कलश विसर्जन मंत्र
कलश विसर्जन के समय मंत्र का उच्चारण करना बेहद शुभ माना जाता है। जब आप कलश उठाएं तो इस मंत्र का जाप करें –
“गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ, स्वस्थानं परमेश्वरी, पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।”
इस मंत्र का अर्थ है की मां आप फिर से हमारे घर आना. मंत्र का जाप विधिपूर्वक करने से पूजा पूर्ण होती है और कलश विसर्जन मंगलकारी माना जाता है.
क्या करें अखंड ज्योति का
अखंड ज्योति को पूजा समाप्त होने पर तुरंत बुझाना अशुभ माना जाता है. इसे समापन के बाद धीरे से निकालकर सुरक्षित जगह पर रखें. जो बचा हुआ तेल है, उसे अगली पूजा या हवन में इस्तेमाल किया जा सकता है, क्योंकि यह तेल अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है.
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