Navratri 2025 Day 9 Bhog: नवरात्रि के नौवें दिन लगाएं इसका भोग, माता सिद्धिदात्री को अर्पित करते हें ये चीजें

Navratri 2025 Day 9 Bhog: नवरात्रि के नौवें दिन यानी महा नवमी पर माता सिद्धिदात्री को विशेष भोग अर्पित करने का विशेष महत्व है. इस दिन फल, खीर, हलवा, चना और नारियल जैसे भोग देवी को अत्यंत प्रिय होते हैं. जानें कैसे इन भोगों से माता की कृपा और घर में सुख-समृद्धि आती है.

By Shaurya Punj | September 29, 2025 2:43 PM

Navratri 2025 Day 9 Bhog: नवरात्रि के नौ दिनों में देवी को उनके विशेष भोग अर्पित करने से माता की कृपा के साथ-साथ जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि, सुख, शांति और मानसिक संतुलन भी प्राप्त होता है. नवरात्रि के नौवें दिन यानी महानवमी पर देवी दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन माता की पूजा और भोग अर्पित करने से घर में सुख, शांति, समृद्धि और मानसिक संतुलन का संचार होता है. इसी कारण भक्त इस दिन देवी को विशेष भोग अर्पित करते हैं.आइए जानें ज्योतिषाचार्य डॉ एन के बेरा से मां सिद्धिदात्री के भोग के बारे में

मां सिद्धिदात्री के प्रिय भोग

मां सिद्धिदात्री के भोग में मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि ये सभी चीजें देवी को अत्यंत प्रिय हैं. इसके अलावा आप मिष्ठान और पक्के फलों का भी भोग लगा सकते हैं.

मां सिद्धिदात्री पूजा विधि

पूजा की विधि में सबसे पहले मां की प्रतिमा या चित्र को गंगाजल से स्नान कराएं. इसके बाद उन्हें साफ फूल, रोली-कुमकुम और दीपक अर्पित करें. फिर ऊपर बताए गए भोग को माता को अर्पित करें और मन में उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति रखें. इस दौरान ध्यान और मंत्र जाप करने से पूजा अधिक फलदायक मानी जाती है.

भोग अर्पित करने के लाभ

भक्त मानते हैं कि नवरात्रि के इस दिन मां सिद्धिदात्री की कृपा से जीवन में आर्थिक स्थिरता, पारिवारिक सुख और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. साथ ही, भोग अर्पित करने से सभी नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

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श्रद्धा और भक्ति का महत्व

इसलिए नवरात्रि के नौवें दिन पूजा और भोग का विशेष महत्व है. अपने घर में मां सिद्धिदात्री की विधिपूर्वक पूजा कर उनके आशीर्वाद से जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भरें. इस दिन का भोग सरल लेकिन मन से अर्पित होना चाहिए, क्योंकि माता को भक्ति और श्रद्धा से किया गया अर्पण सबसे प्रिय होता है.