Mantra Jaap: जानिए क्या है मंत्र जाप करने का सही तरीका, ये गलती करने पर नहीं मिलता लाभ
Mantra Jaap: भगवान की भक्ति में मंत्रों का जप एक अहम हिस्सा है. माना जाता है कि जब हम पूरे नियम और श्रद्धा के साथ जप करते हैं, तभी उसका पूरा लाभ मिलता है. अगर लापरवाही से या बिना सही विधि के जाप किया जाए तो उसका असर कम हो सकता है.
Mantra Jaap: पूजा-पाठ के समय लोग धूप-दीप जलाते हैं और आरती करते हैं, लेकिन इसके साथ-साथ मंत्रों का सही तरीके से जप करना भी जरूरी है. जैसे हम मंदिर में भगवान के दर्शन करते हुए सिर झुकाकर आदर व्यक्त करते हैं, वैसे ही मंत्रों के जप के दौरान भी बैठने की मुद्रा और एकाग्रता पर ध्यान देना चाहिए. अगर कोई व्यक्ति विधि-विधान से जप नहीं करता तो उसके प्रभाव में कमी आ सकती है. इसलिए कोशिश करें कि जप करते समय शांत माहौल हो, मन में कोई दूसरी बात न चल रही हो और पूरी श्रद्धा से भगवान का ध्यान करते हुए मंत्रों का उच्चारण करें. इस प्रकार किया गया जप न केवल मन को शांति देता है बल्कि पूजा को और अधिक फलदायी बनाता है.
इस तरह करें मंत्र जप
सबसे पहले शुद्ध ऊन या कुशा का आसन बिछाकर बैठें.
पद्मासन या सुखासन में सीधे बैठें, पीठ झुकी न हो और चेहरा सीधा रहे.
जिस माला का उपयोग करना है, उसे पहले पवित्र जल से धोकर शुद्ध करें और तिलक लगाएं.
मंत्र जाप की एक निश्चित गिनती तय कर लें.
जप करते समय अपना मुख पूर्व दिशा की ओर रखें.
माला को हमेशा दाहिने हाथ में लें और अंगूठे की नोक से मनकों को फेरें.
ध्यान रखें कि माला पर नाखून का स्पर्श न हो.
प्लास्टिक की माला का उपयोग न करें.
जाप करते समय मन को भटकने न दें और निगाहें भगवान की ओर रखें या आंखें बंद कर ध्यान करें.
माला को नाभि से नीचे न रखें और न ही नाक से ऊपर ले जाएं.
माला को सीने से लगभग चार अंगुल दूरी पर रखें.
जप करते समय सुमेरु (माला का प्रारंभिक मनका) को पार न करें, वहां पहुंचने पर माला को उलटकर वापस जप शुरू करें.
ध्यान रहे कि माला हाथ से फिसलकर नीचे न गिरे.
जाप पूर्ण होने पर माला को आसन या किसी डिब्बे में सावधानी से रख दें.
बिना संकल्प किए मंत्र जप करने से उसका फल अधूरा रह सकता है.
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