शिवरात्रि पर भोलेनाथ की पूजा में भूल से भी न करें ये 5 गलतियां, नहीं मिलेगा शुभ फल
Mahashivratri 2025 Puja Niyam: शिवरात्रि के अवसर पर भक्तजन शिवजी की आराधना करते हैं, उपवास रखते हैं और रातभर भजन-कीर्तन में लीन रहते हैं. यह मान्यता है कि इस दिन उपवास करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है. हालांकि, शास्त्रों में उपवास के लिए कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं, जिनका पालन करना आवश्यक है.
Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि का प्रमुख पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. यदि दांपत्य जोड़ा इस दिन शिव पूजा करता है, तो उनके वैवाहिक जीवन में सुख और संबंधों में मिठास बढ़ती है.
शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी. वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को आरंभ होकर 27 फरवरी को समाप्त होगी. चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 8 मिनट से शुरू होकर 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी. महाशिवरात्रि के अवसर पर, रात्रि के समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. इसलिए महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी.
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शिवजी को जल अर्पित करने के नियम
शिव पूजा में जल अर्पित करने के लिए कई नियम निर्धारित हैं, जिनका पालन करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और इच्छित आशीर्वाद प्रदान करते हैं. यदि इन नियमों की अनदेखी की जाए, तो पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त नहीं होता. आइए, जल अर्पित करने के उचित तरीकों और आवश्यक बातों पर ध्यान दें—
जल अर्पित करने की उचित दिशा:
- शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय सदैव दक्षिण दिशा की ओर मुख करके खड़ा होना चाहिए.
- इससे महादेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और पूजा को स्वीकार करते हैं.
जल किस दिशा से गिरना चाहिए?
- जल अर्पित करते समय यह सुनिश्चित करें कि जल उत्तर दिशा से शिवलिंग पर गिरे.
- भगवान शिव की कृपा शीघ्र प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि कुछ नियमों का पालन किया जाए.
जल अर्पण के बाद परिक्रमा न करें
- शिवलिंग पर जल चढ़ाने के तुरंत बाद परिक्रमा करना उचित नहीं माना जाता है.
- परिक्रमा करने से जल को पार करना पड़ता है, जो शास्त्रों में निषिद्ध है.
इन दिशाओं की ओर मुंह न करें
- जल अर्पित करते समय उत्तर, पश्चिम या पूर्व दिशा की ओर मुंह करना अनुचित है.
- इन दिशाओं को भगवान शिव के पीठ और कंधे के रूप में माना जाता है, इसलिए इन ओर जल चढ़ाने से पूजा का फल नहीं मिलता.
पूजा में शुद्धता का रखें ध्यान
- शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. तांबे या कांसे के पात्र से जल चढ़ाना शुभ माना जाता है.
- यदि आप चाहते हैं कि आपकी शिव पूजा सफल हो और महादेव की कृपा बनी रहे, तो इन नियमों का पालन अवश्य करें.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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