खरमास कब से शुरू होगा? खरमास लगने के पीछे की पौराणिक कथा जानें

ज्योतिष के अनुसार खरमास में मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं. खरमास क्यों लगता है. खरमास लगने के पीछे की पौराणिक कथा क्या है. जानें.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 10, 2021 5:55 PM

खरमास में शादी, सगाई, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, मुंडन समेत बड़े शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. इस समय नया घर या वाहन आदि खरीदना भी शुभ नहीं माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं खरमास क्यों लगता है. इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है. आगे पढ़ें पूरी डिटेल.

खरमास 16 दिसंबर 2021 दिन गुरुवार से शुरू हो रहा है जो 14 जनवरी 2022 दिन शुक्रवार तक रहेगा.

गुरु बृहस्पति की राशि धनु है. माना जाता है कि सूर्यदेव जब भी देवगुरु बृहस्पति की राशि में भ्रमण करते हैं तो मनुष्य के लिए इस समय को अच्छा नहीं माना जाता है. इसलिए खरमास में समस्त बड़े मांगलिक कार्य को करने की मनाही होती है. खरमास खत्म होने के बाद ही शुभ कार्य शुरू होते हैं.

खरमास लगने के पीछे की पौराणिक कथा जानें

पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि भगवान भास्कर यानी सूर्य अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं. सूर्यदेव को कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं है, लेकिन एक बार भ्रमण के क्रम में जब रथ खींच रहे घोड़े लगातार चलने के कारण थक गए तो घोड़ों की ये हालत सूर्यदेव से देखी नहीं गई. सूर्यदेव का हृदय द्रवित हो गया और वे घोड़ों को तालाब के किनारे ले गए, लेकिन तभी उन्हें इस बात का भी एहसास हो गया कि यदि रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा.

तालाब के पास ही दो खर मौजूद थे. सूर्यदेव ने घोड़ों को पानी पीने और विश्राम के लिए वहीं तालाब के पास छोड़ दिया और खर यानी गधों को रथ में चलाने के लिए लगा दिया. गधों को सूर्यदेव का रथ खींचने में बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ी रथ रूका तो नहीं लेकिन इस दौरान रथ की गति धीमी हो गई. गधों के सहारे जैसे-तैसे सूर्यदेव इस एक मास का चक्र पूरा कर पाए. घोड़ों के विश्राम करने के बाद सूर्य का रथ फिर अपनी गति में लौट आया. इस तरह हर साल ये क्रम चलता रहता है. इसीलिए हर साल करीब एक महीने खरमास लगता है.

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