Jitiya Vrat 2025 Live Puja Vidhi: कल रखा जाएगा जितिया व्रत, यहां से नोट कर लें पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र जैसे हर डिटेल

Jitiya Vrat 2025 Live Puja Vidhi: सनातन धर्म में व्रत-उपवास का विशेष महत्व है. इन्हीं में से एक है जितिया व्रत, जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है. इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और जितिया माता की आराधना की जाती है. माताएं यह व्रत संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य की कामना से करती हैं. वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 14 सितंबर 2025 को प्रातः 5:04 बजे से आरंभ होकर 15 सितंबर 2025 को रात्रि 3:06 बजे तक रहेगी.

By Shaurya Punj | September 14, 2025 6:42 AM

Jitiya Vrat 2025 Live Puja Vidhi: हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जितिया व्रत किया जाता है. यह व्रत तीन दिनों तक चलता है और बिहार समेत पूर्वी भारत के कई हिस्सों में बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है. पहले दिन नहाय-खाय की परंपरा होती है, दूसरे दिन महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं और तीसरे दिन उपवास का पारण किया जाता है. इसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है. इस साल यह व्रत 14 सितंबर को मनाया जा रहा है. यदि आप भी जितिया व्रत रख रही हैं, तो यहां आपको पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि, आवश्यक सामग्री और पारण का समय बताया जा रहा है.

लाइव अपडेट

जितिया व्रत पूजा मंत्र

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।

सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।

जितिया व्रत सामग्री लिस्ट

कुश (जीमूतवाहन की प्रतिमा बनाने के लिए)

गाय का गोबर (चील व सियारिन बनाने के लिए)

अक्षत यानि चावल

पेड़ा

दूर्वा की माला

पान और सुपारी

लौंग और इलायची

श्रृंगार का सामान

सिंदूर पुष्प

गांठ का धागा

धूप-दीप

मिठाई

फल

फूल

बांस के पत्ते

सरसों का तेल

जितिया व्रत का महत्व

मान्यता है कि जितिया व्रत करने से संतान को जीवन की बाधाओं से रक्षा मिलती है और उन्हें सुख, समृद्धि व दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस व्रत से घर-परिवार में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. कहा जाता है कि प्राचीन काल में राजा जीमूतवाहन ने नाग जाति की रक्षा हेतु अपने प्राणों का त्याग किया था। तभी से इस व्रत की परंपरा की शुरुआत हुई और आज भी उतनी ही श्रद्धा से निभाई जाती है.

इस बार बन रहे शुभ संयोग

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस वर्ष जितिया व्रत पर कई विशेष योग बन रहे हैं, जो इसे और अधिक मंगलकारी बनाएंगे. इस दिन सिद्ध योग का निर्माण होगा, जिसे ज्योतिष शास्त्र में अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस योग में की गई पूजा से भक्तों को मनचाहा वरदान प्राप्त होता है और पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है. इसके अतिरिक्त, जितिया व्रत के अवसर पर शिववास योग का संयोग भी बन रहा है.

जितिया व्रत आरती

ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।

त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥ ओम जय कश्यप

सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।

दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥ ओम जय कश्यप

सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।

अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥ ओम जय कश्यप

सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।

विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥ ओम जय कश्यप

कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।

सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥ ओम जय कश्यप

नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।

वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥ ओम जय कश्यप

सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।

हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥ ओम जय कश्यप

ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।

जितिया पूजा सामग्री सूची

जितिया पूजा सामग्री सूचीितिया पूजा सामग्री सूची

जितिया व्रत की पूजा के लिए विशेष सामग्रियों का उपयोग किया जाता है. इसमें जीमूतवाहन की प्रतिमा बनाने हेतु कुश, चील और सियारिन की आकृति के लिए गोबर, अक्षत, पेड़ा व अन्य मिठाई, दूर्वा की माला, श्रृंगार सामग्री, सिंदूर, पुष्प, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, फल-फूल, गांठ वाला धागा, धूप-दीप, बांस के पत्ते और सरसों का तेल शामिल होते हैं.

जितिया व्रत कितने घंटे का होता है?

जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत सामान्यतः 24 घंटे से लेकर 36 घंटे तक का निर्जला उपवास होता है. यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से आरंभ होकर अगले दिन नवमी तिथि पर पारण के साथ संपन्न होता है. इस दौरान माताएं संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं और सूर्योदय के बाद पारण करती हैं.

जितिया का व्रत कैसे खोला जाता है?

जितिया का व्रत अगले दिन प्रातः सूर्य देव की पूजा और अर्घ्य अर्पित करने के बाद खोला जाता है. पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. फिर भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें और व्रत कथा सुनें. इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें. फिर झोर भात मरुआ की रोटी और नोनी के साग से व्रत का पारण करें.

जितिया व्रत का पारण कितने बजे करना चाहिए?

रविवार 14 सितंबर को सूर्योदय के समय सभी माताएं निर्जला उपवास करेंगी. जितिया व्रत का पारण 15 सितंबर को सुबह 06:36 बजे होगा. इसके साथ ही तीन दिवसीय व्रत का समापन भी हो जाएगा.

जितिया व्रत के दिन क्या दान करना चाहिए?

जितिया व्रत के दिन चावल फलों गौ खिलौने काले तिल और जौ आदि का दान करना चाहिए. इन वस्तुओं का दान अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है. कहा जाता है कि इस दान से दोगुना फल प्राप्त होता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

जितिया धागा सावधानियां

जितिया व्रत में बांधा गया धागा संतान की लंबी उम्र और सुरक्षा का प्रतीक है. इसे कभी कूड़े या अपवित्र जगह पर न फेंकें, पैरों के नीचे न आने दें और धागे का अनादर न करें. इसका सम्मान करना जरूरी है.

जितिया व्रत में यमराज की पूजा क्यों होती है?

जितिया व्रत में माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुरक्षा की कामना करती हैं. इसके लिए वे यमराज की पूजा करती हैं. यमराज को केवल मृत्यु का देवता नहीं बल्कि जीवन के रक्षक माना जाता है. इसलिए व्रत में उनसे संतान की रक्षा का आशीर्वाद मांगा जाता है.

जितिया व्रत में यमराज की पूजा क्यों होती है?

जितिया व्रत में माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुरक्षा की कामना करती हैं. इसके लिए वे यमराज की पूजा करती हैं. यमराज को केवल मृत्यु का देवता नहीं बल्कि जीवन के रक्षक माना जाता है. इसलिए व्रत में उनसे संतान की रक्षा का आशीर्वाद मांगा जाता है.

जितिया गित लिरिक्स

जुग जुग जिय ए बबुआ हमार हो

तोहरा प बाबू कबहू आचना आए

अचरा के फुलवा कबो ना मुरझाए

तोहरा प बाबू कबहू आचना आए

अचरा के फुलवा कबो ना मुरझाए

तोहरो जीनगीया के दिही सवार हो

जिऊत वाहन देव अर्जी करीह स्वीकार हो

चंदा जैसन चमके ई मुखड़ा तोहार हो

जुग जुग जिय ए बबुआ हमार हो

चंदा जैसन चमके ई मुखड़ा तोहार हो

जुग जुग जिय ए बबुआ हमार हो

हमरो दुलरवा के नजरों ने लागे

रहीह तू हरदम सबका से आगे

पढ़ लिख के बबुआ खूब नाम कमईह

कौनो परेशानी से तू कबहू ना डेरईह

जीऊत वाहन देव के बा महिमा अपार हो

एही से त निर्जल भूकल बानी त्यौहार हो

चंदा जैसन चमके ई मुखड़ा तोहार हो

जुग जुग जिय ए बबुआ हमार हो

चंदा जैसन चमके ई मुखड़ा तोहार हो

जुग जुग जिय ए बबुआ हमार हो

हमरो उमर तोहरा के लग जाए

रोग बल्ला कोई छू नहीं पाई

पावन परब हम तोहरे ला करिले

कवनो ना गलती होखे ध्यान हम धरीले

तोहरे से रोशन बा अंगना हमार हो

कबहु भुलइह ना माई के दुलार हो

चंदा जैसन चमके ई मुखड़ा तोहार हो

जुग जुग जिय ए बबुआ हमार हो

चंदा जैसन चमके ई मुखड़ा तोहार हो

जुग जुग जिय ए बबुआ हमार हो.

जितिया व्रत के दौरान संतान की सुरक्षा के लिए करें ये उपाय

जितिया व्रत की रात को आटे से बना दीपक लें और उसमें तिल का तेल डालकर घर के मुख्य द्वार पर जलाएं. यह उपाय नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और संतान को बुरी नजर या विपत्ति से बचाता है.

क्या पुरुष भी रख सकते हैं जितिया का व्रत ?

पुराणों या धर्मग्रंथों में कहीं ऐसा नहीं कहा गया है कि पुरुष जितिया व्रत नहीं रख सकते. अगर परिवार में कोई महिला व्रत नहीं रख सकती, तो पुरुष भी श्रद्धा के साथ यह व्रत रख सकते हैं.

जितिया व्रत के पारण तिथि

जितिया व्रत पारण के साथ समाप्त होता है. पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 15 सितंबर, सोमवार को सुबह 6 बजकर 15 मिनट पर व्रत की समाप्त होगी. इसलिए नवमी तिथि के सूर्योदय के बाद ही व्रती महिलाएं पारण करेंगी. इस प्रकार 15 सितंबर को जितिया पावन किया जाएगा.

संतान की अच्छी सेहत के लिए जितिया व्रत के दौरान करें ये उपाय

जितिया व्रत के दिन शाम के समय एक मिट्टी का दीया लें और उसमें तिल का तेल भरें. यह दीपक अपनी संतान के हाथों से जलवाएं और फिर उसे घर के मंदिर में रखें. ऐसा करने से संतान से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं दूर हो सकती हैं और उनकी सेहत में सुधार आता है.

जितिया धागा पहनाने की विधि

जितिया व्रत में धागे को पहले पूजा और मंत्रों से अभिमंत्रित किया जाता है. फिर माताएं संतान को बैठाकर धागा गले या हाथ में बांधती हैं. इसे बांधते समय माताएं मन में संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और सुरक्षा की कामना करती हैं.

जितिया धागा महत्व

जितिया धागा संतान की लंबी आयु और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है. माताएं इसे संतान के गले या हाथ में बांधकर उनकी सुरक्षा और कल्याण की कामना करती हैं. यह धागा आस्था, श्रद्धा और माता-संतान के बीच के अटूट रिश्ते को दर्शाता है.

जितिया व्रत के दौरान माताओं को क्या करना चाहिए?

जितिया व्रत में माताओं को शांत, संयमित और सात्विक रहना चाहिए. व्रत के सभी नियमों का पालन करना चाहिए. शाम को या पूजा के समय जिमूतवाहन और जीवित्पुत्रिका माता की कथा सुननी चाहिए.

जितिया व्रत के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?

जितिया व्रत के दौरान व्रती को झूठ नहीं बोलना चाहिए. साथ ही गुस्सा भी नहीं करना चाहिए. इस दौरान किसी भी तरह के अपमानजनक या कठोर शब्द का उपयोग नहीं करना चाहिए. यह व्रत निर्जला होता है, इसलिए व्रत के दौरान खाना या पानी नहीं पीना चाहिए.

जितिया के व्रत का महत्व

इस व्रत को करने से संतान को दीर्घायु और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. मान्यता है कि जितिया व्रत को सच्चे मन से और पूरे विधि-विधान के साथ जो व्रती करती है, उस पर भगवान जिमूतवाहन की विशेष कृपा रहती है.

नहाय-खाय के दिन क्या खाना चाहिए?

व्रत के एक दिन पहले नहाय-खाय के दिन नोनी साग, अरबी, तुरई, रागी और देसी मटर या कुशी केराव खाना शुभ माना जाता हैं. उपवास से पहले इन चीजों का सेवन करने से व्रत के दौरान शरीर को ऊर्जा और पोषण मिलती है.

जितिया व्रत कितने दिनों तक चलता है?

जितिया व्रत कुल तीन दिनों तक चलता है. पहले दिन नहाय-खाय होता है, जिसमें व्रती स्नान करके शुद्ध भोजन ग्रहण करती हैं. दूसरे दिन माताएँ निर्जला उपवास रखती हैं. तीसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है, जिसमें पूजा-पाठ के बाद व्रती व्रत खोलकर भोजन ग्रहण करती हैं.

जितिया व्रत कितने दिनों तक चलता है?

जितिया व्रत कुल तीन दिनों तक चलता है. पहले दिन नहाय-खाय होता है, जिसमें व्रती स्नान करके शुद्ध भोजन ग्रहण करती हैं. दूसरे दिन माताएँ निर्जला उपवास रखती हैं. तीसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है, जिसमें पूजा-पाठ के बाद व्रती व्रत खोलकर भोजन ग्रहण करती हैं.

जितिया व्रत कहां-कहां और क्यों किया जाता ?

जितिया व्रत मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में किया जाता है. इस व्रत को संतान की लंबी उम्र और रक्षा के लिए माताएं करती हैं.

जितिया व्रत की पूजा विधि

इस व्रत में महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, यानी वे पूरे दिन और रात पानी की एक बूंद भी नहीं पीतीं. व्रत का पारण अगले दिन किया जाता है. पूजा के दौरान, जितिया माता की विशेष पूजा और कथा सुनी जाती है.

जितिया व्रत का मुहूर्त और आरती

इस बार जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त 14 सितंबर 2025 को है. व्रत के दौरान जितिया माता की आरती और कथा का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है.

जितिया व्रत की कथा

इस व्रत से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं. इनमें से एक कथा के अनुसार, जीमूतवाहन नाम के एक राजा ने गरुड़ से एक नागिन के पुत्र की रक्षा की थी, जिसके बाद से यह व्रत संतान की रक्षा के लिए मनाया जाने लगा. इस कथा को सुनने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है.