Jitiya Vrat 2025: क्या पुरुष भी रख सकते हैं जितिया व्रत? जानें परंपरा और धार्मिक मान्यताएं

Jitiya Vrat 2025: जीवित्पुत्रिका व्रत हिंदू धर्म में विशेष रूप से माताओं द्वारा संतान की लंबी उम्र और कल्याण के लिए रखा जाता है. हालांकि, धर्मग्रंथों में पुरुषों द्वारा व्रत रखने पर कोई प्रतिबंध नहीं है. अगर पुरुष श्रद्धा और नियमों के साथ व्रत करें, तो यह फलदायी माना जाता है.

By Shaurya Punj | September 12, 2025 11:52 AM

Jitiya Vrat 2025: जितिया व्रत या जीवित्पुत्रिका व्रत हिन्दू धर्म में विशेष रूप से माताओं द्वारा मनाया जाने वाला पवित्र व्रत है. इसे माताएं अपने संतान, विशेषकर पुत्र की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना से रखती हैं. इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास करती हैं और संध्या समय जीमूतवाहन देव की पूजा करती हैं.

परंपरा और रीति-रिवाज

अधिकतर क्षेत्रों में, खासकर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में, पुरुषों द्वारा जितिया व्रत नहीं रखा जाता. इसका मुख्य कारण यह माना जाता है कि यह व्रत माताओं के त्याग, श्रद्धा और संकल्प का प्रतीक है. माताएं अपने बच्चों के कल्याण के लिए कठोर नियमों और कठिन उपवास का पालन करती हैं, जो व्रत का प्रमुख उद्देश्य होता है.

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क्या पुरुष भी रख सकते हैं जितिया का व्रत ?

धर्मग्रंथों और पुराणों में कहीं भी स्पष्ट रूप से ऐसा नियम नहीं है कि पुरुष जितिया व्रत नहीं रख सकते. अगर परिवार में कोई महिला सदस्य व्रत नहीं रख सकती, तो पुरुष भी श्रद्धा और निष्ठा के साथ यह व्रत कर सकते हैं. महत्वपूर्ण यह है कि व्रत पूरी श्रद्धा, नियमों और संयम के साथ किया जाए.

व्रत का सही उद्देश्य

कुछ धार्मिक कथाओं में कहा गया है कि व्रत केवल दिखावे या सामाजिक परंपरा के लिए नहीं किया जाना चाहिए. पुरुष यदि श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए व्रत करें, तो इसे धार्मिक दृष्टि से फलदायी माना जाता है. आधुनिक समय में कई परिवारों में पुरुष माताओं के साथ व्रत करके अपने संतान की लंबी उम्र और कल्याण की कामना करते हैं. इससे परिवार में आस्था और विश्वास दोनों मजबूत होते हैं.