Karwa Chauth Puja Alone At Home: घर पर अकेले कैसे करें करवा चौथ का व्रत? जानें जरूरी बातें
karwa chauth Puja Alone At Home: करवा चौथ का व्रत हर सुहागिन महिला के लिए बेहद खास होता है. इस दिन महिलाएं सज-धजकर माता करवा की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं.आमतौर पर यह व्रत घर की दो से तीन महिलाएं मिलकर करती हैं. लेकिन यदि आपके घर में कोई नहीं है, तो सवाल उठता है- क्या ऐसी स्थिति में यह पूजा की जा सकती है या नहीं? अगर की जा सकती है, तो किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? आइए जानते हैं विस्तार से.
karwa chauth Puja Alone At Home: करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को हर साल किया जाता है. इस वर्ष यह व्रत 10 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा. पति की लंबी आयु और सलामती के लिए शादीशुदा महिलाएं यह व्रत रखती हैं. आमतौर पर यह व्रत घर की दो से तीन महिलाओं के साथ मिलकर किया जाता है, क्योंकि पूजा के समय करवा की आपस में अदला-बदली की जाती है.ऐसे में सवाल उठता है कि जो महिलाएं अपने घर से दूर रह रही हैं या जिनके घर में सास या कोई बड़ी-बुजुर्ग महिला नहीं है, क्या वे अकेले करवा चौथ का व्रत कर सकती हैं?चलिए, इस लेख के माध्यम से जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब.
घर पर क्या अकेले करवा चौथ की पूजा की जा सकती है?
यदि घर पर कोई बड़ी-बुजुर्ग महिला नहीं है, तो ऐसी परिस्थिति में घर पर अकेले करवा चौथ की पूजा की जा सकती है.शास्त्रों में ऐसा कहीं भी उल्लेख नहीं है कि अकेले घर पर करवा चौथ की पूजा नहीं की जा सकती.हालांकि, घर पर अकेले पूजा करने के लिए कुछ विशेष नियमों और विधियों का पालन करना आवश्यक है.
घर पर अकेले कैसे करें करवा चौथ की पूजा?
यदि आप भी इस बार घर पर अकेली करवा चौथ की पूजा कर रही हैं, तो इससे जुड़े कुछ नियमों को जानना आपके लिए बेहद ज़रूरी है, ताकि आप बिना किसी गलती या परेशानी के सही विधि से पूजा कर सकें.
सबसे पहले घर के मंदिर में मिट्टी या गोबर से माता गौरी की प्रतिमा बनाएं.इसके बाद माता का श्रृंगार करें.पूजा के लिए दो अलग-अलग करवे तैयार करें.दोनों में शुद्ध जल भरें.उन्हें ढक्कन से ढकें और ऊपर मिठाई रखें.एक करवा अपने लिए रखें और दूसरा माता गौरी को अर्पित करें.सारी तैयारी पूरी हो जाने के बाद पूजा आरंभ करें.माता की पूजा-अर्चना और भोग अर्पण के बाद, बनाई गई माता की प्रतिमा के साथ करवे की अदला-बदली करें.इसके लिए अपने हाथों को सात बार क्रॉस करते हुए यह शब्द दोहराएं – “ले सुहागन ले करवा, दे सुहागन दे करवा.”
सात बार यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद चंद्र दर्शन करें और अर्घ्य दें.इसके बाद माता गौरी को सिंदूर और सुहाग का सामान अर्पित करें और व्रत का पारण करें.व्रत पूर्ण होने के बाद माता गौरी के नाम से चढ़ाए गए करवे का जल घर के पौधों में डाल दें.
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