Guru Purnima 2025 पर ऐसे करें गुरु की पूजा, जानिए विधि और मंत्र

Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा का पर्व 10 जुलाई को मनाया जाएगा, जो गुरु के प्रति श्रद्धा, सम्मान और आभार प्रकट करने का विशेष अवसर है. इस दिन शास्त्रों में बताए गए नियमों से पूजा करने से ज्ञान, ऊर्जा और आध्यात्मिक प्रगति का आशीर्वाद मिलता है. जानें पूजा विधि और मंत्र.

By Shaurya Punj | July 4, 2025 2:54 PM

Guru Purnima 2025: गुरु हमारे जीवन की वो रोशनी हैं, जो अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाकर हमें ज्ञान, विवेक और दिशा प्रदान करते हैं. इन्हीं गुरुजनों के सम्मान में हर वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है. वर्ष 2025 में यह पर्व 10 जुलाई, गुरुवार को मनाया जाएगा. यह दिन केवल धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि शिक्षा, आध्यात्म और सामाजिक मार्गदर्शन के क्षेत्र में गुरु की भूमिका को श्रद्धा से स्मरण करने का शुभ अवसर भी है.

गुरु पूर्णिमा का आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व

गुरु पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. वेदव्यास ने चार वेदों का विभाजन किया और महाभारत जैसे महाग्रंथ की रचना की, जिससे उन्हें ‘आदि गुरु’ की उपाधि मिली.

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यह पर्व हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध और जैन धर्म में भी महत्वपूर्ण है:

  • बौद्ध धर्म में यह दिन भगवान बुद्ध के प्रथम उपदेश (धर्मचक्र प्रवर्तन) की स्मृति में मनाया जाता है.
  • जैन धर्म में इसे भगवान महावीर के पहले शिष्य को दीक्षा देने के रूप में देखा जाता है.

गुरु पूर्णिमा पर क्या करें? विशेष पूजा-विधि

दिन की शुरुआत पवित्रता से करें

प्रातःकाल उठकर स्नान करें. यदि संभव हो, तो गंगाजल मिलाकर स्नान करें. स्वच्छ वस्त्र धारण करें.

गुरु की पूजा करें

गुरुदेव की तस्वीर या मूर्ति को घर के पूजा स्थान पर रखें. दीपक जलाएं, फूल, फल व नैवेद्य अर्पित करें.

गुरु मंत्र का जाप करें

“ॐ गुरुभ्यो नमः” या अपने गुरु द्वारा दिया गया मंत्र श्रद्धापूर्वक जपें. यह आत्मिक बल और आशीर्वाद का माध्यम बनता है.

भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की आराधना करें

इस दिन समृद्धि और ज्ञान की प्राप्ति के लिए विष्णु-लक्ष्मी की पूजा भी शुभ मानी जाती है.

पूर्णिमा चंद्रमा का दर्शन करें

रात्रि में चंद्रमा को देखकर उनका पूजन करें. मान्यता है कि इससे मानसिक शांति और चित्त की स्थिरता प्राप्त होती है.

क्यों खास है गुरु पूर्णिमा?

गुरु पूर्णिमा सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह गुरु-शिष्य परंपरा को सम्मान देने और कृतज्ञता प्रकट करने का दिन है. समाज में गुरु वही है जो हमें सही राह दिखाए—वो माता-पिता हो सकते हैं, शिक्षक, या फिर आध्यात्मिक गुरु.

यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि ज्ञान ही सच्चा धन है और गुरु ही वह पात्र हैं, जो इस धन को हमें सौंपते हैं. इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरुओं को स्मरण करें, उनका आशीर्वाद लें और जीवन में आगे बढ़ने का संकल्प लें.

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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
(ज्योतिष, वास्तु और रत्न विशेषज्ञ)
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