Dev Uthani Ekadashi 2025 Date: देव उठनी एकादशी कब, शुरू होने वाले हैं सभी शुभ काम, जानिए तिथि और मुहूर्त

Dev Uthani Ekadashi 2025 Date: देव उठनी एकादशी 2025 जल्द मनाई जाएगी. इस दिन से भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं और धरती पर शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. शादी-विवाह, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कार्य अब से किए जा सकते हैं. इसे प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है.

By Shaurya Punj | October 15, 2025 11:03 AM

Dev Uthani Ekadashi 2025 Date: हिंदू धर्म में देव उठनी एकादशी को अत्यंत पवित्र माना जाता है. इसे प्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं. इसी समय से धरती पर शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. विवाह, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कार्य जो चातुर्मास के दौरान स्थगित रहते हैं, वे अब से फिर से किए जा सकते हैं. इसलिए यह पर्व हर साल भव्यता और उल्लास के साथ मनाया जाता है.

देव उठनी एकादशी 2025 की तिथि

वर्तमान वर्ष में देव उठनी एकादशी कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ रही है. वैदिक पंचांग के अनुसार, यह व्रत 1 नवंबर 2025 को सुबह 9:11 बजे से आरंभ होगा और 2 नवंबर 2025 को सुबह 7:31 बजे समाप्त होगा. आम भक्त 1 नवंबर को इसे मनाएंगे, जबकि वैष्णव परंपरा के अनुसार व्रत 2 नवंबर को रखा जाएगा.

देव उठनी एकादशी 2025 का शुभ मुहूर्त

  • इस दिन के प्रमुख मुहूर्त इस प्रकार हैं:
  • सूर्योदय: सुबह 6:33 बजे
  • सूर्यास्त: शाम 5:36 बजे
  • चंद्रोदय: दोपहर 2:49 बजे
  • चंद्रास्त: रात 2:46 बजे
  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:50 से 5:41 बजे तक
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 1:55 से 2:39 बजे तक
  • गोधूलि बेला: शाम 5:36 से 6:02 बजे तक
  • निशिता मुहूर्त: रात 11:39 से 12:31 बजे तक

देव उठनी एकादशी का आध्यात्मिक संदेश

‘देव उठनी’ का अर्थ है – देवताओं का जागना. धार्मिक मान्यता अनुसार, भगवान विष्णु आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी से लेकर कार्तिक मास की देव उठनी एकादशी तक योगनिद्रा में रहते हैं. इस अवधि को चातुर्मास कहते हैं. जब भगवान विष्णु जागते हैं, तो सृष्टि में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी मंगल कार्यों का शुभारंभ संभव हो जाता है.

व्रत और पूजा का महत्व

इस दिन भक्त भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा करते हैं. उपवास रखते हुए तुलसी पत्ते, दीपक और शंख से जल अर्पित किया जाता है. कहा जाता है कि इस व्रत से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है.

जीवन में संदेश

देव उठनी एकादशी केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक भी है. यह हमें यह सिखाती है कि आत्मिक जागृति के साथ जीवन में हर शुभ कार्य संभव है और सकारात्मकता का मार्ग प्रशस्त होता है.

इस बार देव दीपावली कब है?

इस साल देव दीपावली 5 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी.

देव दीपावली क्यों मनाई जाती है?

यह पर्व देवताओं के गंगा में स्नान करने और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.

देव दीपावली के दिन क्या करना चाहिए?

सुबह स्नान, भगवान विष्णु की पूजा, दीप जलाना और गंगा आरती करना शुभ माना जाता है.

देव दीपावली पर कितने दीए जलाए जाते हैं?

वाराणसी की घाटों पर लाखों दीपों की रोशनी सजाई जाती है.

देव दीपावली का क्या महत्व है?

इस दिन दान, दीप प्रज्वलन और पूजा से जीवन में शांति, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है.