Chhath Puja 2025: कब से चली आ रही है छठ महापर्व की परंपरा? जानिए बिहार के किस जिले में हुई थी पहली शुरुआत

Chhath Puja 2025: क्या आप जानते हैं कि छठ पूजा की परंपरा कब और कैसे शुरू हुई थी? यह सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि सूर्य देव और छठी मइया के प्रति श्रद्धा और' प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक है. आइए जानते हैं छठ पूजा की कहानी और महत्व.

By JayshreeAnand | October 23, 2025 8:52 AM

Chhath Puja 2025: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा इस साल 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर 2025 तक मनाया जाएगा. चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व भगवान सूर्य देव और उनकी शक्ति छठी मइया को समर्पित है. बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई इलाकों में इसकी सबसे अधिक धूम रहती है.

छठ पूजा की शुरुआत कैसे हुई

महाभारत काल: छठ पूजा की उत्पत्ति को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. ज्यादातर मान्यताएं इसे महाभारत काल से जोड़ती हैं. एक कथा के अनुसार, जब पांडव अपना राजपाट जुए में हार गए थे, तब माता द्रौपदी ने सूर्य देव की आराधना करते हुए सूर्यषष्ठी व्रत रखा था. कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से उनकी मनोकामनाएं पूरी हुईं और पांडवों के जीवन में फिर से सुख-शांति लौटी.

दूसरी कथा में सूर्यपुत्र कर्ण का उल्लेख मिलता है, जो प्रतिदिन घंटों तक नदी में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देते थे. सूर्य की कृपा से ही उन्हें अद्भुत शक्ति और तेज प्राप्त हुआ, जिसके कारण वे महाभारत के महान योद्धाओं में गिने गए.

रामायण काल: रामायण काल से जुड़ी एक मान्यता के अनुसार, जब भगवान राम 14 वर्षों का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे, तब माता सीता ने रावण वध के बाद पाप से मुक्ति और परिवार के कल्याण के लिए मुंगेर में सूर्य पूजा की थी. आज भी मुंगेर में स्थित “सीता चरण” नामक स्थल को इसी घटना का प्रतीक माना जाता है.

कुछ धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, छठ पूजा की शुरुआत राजा प्रियव्रत ने की थी. वे संतान की प्राप्ति के लिए सूर्य देव की उपासना करते थे. उनकी श्रद्धा से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने उन्हें संतान सुख का आशीर्वाद दिया.

महत्व और मान्यताएं

  • छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य देव का आभार प्रकट करना और छठी मइया का आशीर्वाद पाना है.
  • यह पर्व शुद्धता, संयम और अनुशासन का प्रतीक माना जाता है.
  • व्रती (उपवासी) चार दिनों तक कठोर नियमों का पालन करते हैं और बिना नमक, प्याज-लहसुन के सात्विक भोजन करते हैं.
  • भक्त मानते हैं कि छठी मइया से संतान सुख, स्वास्थ्य और परिवार की समृद्धि प्राप्त होती है. वैज्ञानिक दृष्टि से भी सूर्य की पूजा और अर्घ्य देने से शरीर को ऊर्जा और विटामिन डी की प्राप्ति होती है.

चार दिनों तक मनाया जाएगा पर्व

  • नहाय-खाय (25 अक्टूबर): पहले दिन व्रती नदी या तालाब में स्नान कर पवित्र जल घर लाते हैं और सादा सात्विक भोजन करते हैं.
  • खरना (26 अक्टूबर): पूरा दिन निर्जला उपवास रखा जाता है. शाम को गुड़-चावल की खीर, रोटी और केले का प्रसाद बनाकर पूजा की जाती है.
  • संध्या अर्घ्य (27 अक्टूबर): सूर्यास्त के समय व्रती गंगा या तालाब में जल में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं.
  • उषा अर्घ्य (28 अक्टूबर): सूर्योदय के समय व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा संपन्न करते हैं और व्रत तोड़ते हैं.

छठ पूजा किस देवता को समर्पित है?

यह पर्व भगवान सूर्य देव और उनकी शक्ति छठी मइया (शष्ठी देवी) को समर्पित है.

छठ पूजा कितने दिनों तक चलती है?

यह चार दिनों तक मनाया जाता है — नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य के रूप में.

छठ पूजा में सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है?

सूर्य को जीवन, ऊर्जा और स्वास्थ्य का स्रोत माना गया है. अर्घ्य देने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.

छठ पूजा की शुरुआत सबसे पहले कहाँ हुई थी?

कई मान्यताओं के अनुसार, छठ पूजा की शुरुआत बिहार के मुंगेर में हुई थी, जहाँ माता सीता ने सूर्य उपासना की थी.

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.