Chhath Puja Sun Rise Time: इस साल कब है छठ महापर्व
Chhath Puja 2024 Sunrise Time Today: छठ महापर्व का चौथा दिन 25 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जा रहा है. इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है. छठ के अंतिम दिन, सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात ही व्रत का पारण किया जाता है. इस प्रकार, चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन होगा. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है.
Chhath Puja 2024 Sunrise Time, Usha Arghya Samay: छठ पूजा का समापन उषा अर्घ्य के माध्यम से होता है. इस अवसर पर व्रतधारी उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. इस वर्ष उषा अर्घ्य आज 8 नवंबर 2024 को होगा. इस दिन प्रातः व्रत रखने वाली महिलाएं अपने परिवार के सदस्यों के साथ नदी या जलाशय पर जाकर सूर्य की पहली किरण को अर्घ्य चढ़ाती हैं. इसके पश्चात व्रत का पारण किया जाता है. आइए, हम आपको बताते हैं कि इस साल सूर्योदय का समय क्या होगा या उषा अर्घ्य का समय क्या रहेगा
जानें आपके शहर में कब होगा सूर्योदय
| शहर | सूर्योदय का समय |
| दिल्ली | 6 बजकर 38 मिनट |
| पटना | 6 बजकर 03 मिनट |
| रांची | 5 बजकर 58 मिनट |
| मुजफ्फरपुर | 6 बजकर 02 मिनट |
| गया | 6 बजकर 01 मिनट |
| वाराणसी | 6 बजकर 05 मिनट |
| भागलपुर | 5 बजकर 59 मिनट |
| मोतीहारी | 6 बजकर 04 मिनट |
| नालंदा | सुबह 6 बजे |
| लखनऊ | 6 बजकर 16 मिनट |
| मुंबई | 6 बजकर 39 मिनट |
| नोएडा | 6 बजकर 31 मिनट |
छठ पूजा के अवसर पर सूर्य को अर्घ्य देने की विधि
प्रातःकाल उठकर स्नान और ध्यान करें.
सूर्योदय से पूर्व व्रति अपने परिवार के साथ घाट पर पहुंचें.
जल में उतरकर उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें.
अर्घ्य देने का समय निर्धारित करें.
सूर्य देव को दूध और जल से अर्घ्य प्रदान करें.
इसके बाद भगवान सूर्य को प्रणाम करें और उनके वैदिक मंत्रों का जाप करें.
सूर्य चालीसा का पाठ करें.
फिर धूप, दीप और कपूर से सूर्य देव की आरती करें.
सूर्य भगवान को फल, मिठाई, और घर में बने प्रसाद का भोग अर्पित करें.
पूजा में हुई त्रुटियों के लिए क्षमा याचना करें.
जल अर्पित करते समय लोटा सिर के नीचे रखें.
लाल वस्त्र पहनकर सूर्य देव को जल अर्पित करें.
सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करें और सभी में प्रसाद वितरित करें.
कब है छठ पूजा 2025
छठ पूजा 2025 का महापर्व इस वर्ष 25 अक्टूबर, शनिवार से नहाय-खाय के साथ प्रारंभ होगा. इस दिन महिलाएं नदी में स्नान कर सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं, जिससे आगामी व्रत के लिए मानसिक और शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है. इसके अगले दिन, 26 अक्टूबर, रविवार को खरना मनाया जाएगा. इस दिन शाम को रोटी, गुड़ की खीर और फल का भोग लगाकर व्रती महिलाएं प्रसाद ग्रहण करती हैं, जिसके बाद निर्जला व्रत की शुरुआत होती है.
27 अक्टूबर, सोमवार को सूर्य षष्ठी तिथि पर मुख्य छठ पूजा मनाई जाएगी. इस दिन व्रती महिलाएं घाट पर जाकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं और छठ मईया की आराधना करती हैं. अगले दिन, 28 अक्टूबर, मंगलवार को सूर्योदय अर्घ्य दिया जाएगा, जब महिलाएं सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु की कामना करेंगी. इसी दिन 36 घंटे तक चलने वाला यह कठोर व्रत पूर्ण होता है.
