Chhath Puja 2022: झारखंड के नारायणपुर में बांस से बनी सूप-डलिया की बिहार, UP व बंगाल में है अच्छी डिमांड

जामताड़ा जिले के नारायणपुर प्रखंड के डाभाकेंद और आशाडीह में बांस से बनी सूप, डलिया की मांग झारखंड के अलावा पड़ोसी राज्यों बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के बाजारों में काफी है. छठ पूजा पर इसकी डिमांड और बढ़ जाती है. बांस से सुंदर और आकर्षक डलिया, टोकरी बुनाई के लिए महली परिवार प्रसिद्ध है.

By Guru Swarup Mishra | October 10, 2022 4:53 PM

Chhath Puja 2022: जामताड़ा जिले के नारायणपुर प्रखंड के डाभाकेंद और आशाडीह में बांस से बनी सूप, डलिया की मांग झारखंड के अलावा पड़ोसी राज्यों बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के बाजारों में काफी है. छठ पूजा पर इसकी डिमांड और बढ़ जाती है. सूप, डलिया और टोकरी की आपूर्ति नारायणपुर प्रखंड के डाभाकेंद और आशाडीह के 40 महली परिवारों के द्वारा की जाती है. इस काम में महिलाएं एवं पुरुष के साथ हुनरमंद बच्चे भी साथ देते हैं.

बांस की टोकरी से चलती है रोजी-रोटी

बांस से सुंदर और आकर्षक डलिया, टोकरी और सूप बुनाई के लिए महली परिवार वर्षों से प्रसिद्ध है. इस काम में स्कूली बच्चे, घर की महिलाएं एवं पुरुष शामिल रहते हैं. महली परिवार की विमला देवी ने बताया कि टोकरी, सूप और डलिया बुनाई का काम पुश्तैनी है. उनका जीवन-यापन इसी से चलता है. एक दिन में एक सदस्य कम से कम 25 से 30 सूप बना लेता है.

Also Read: Jharkhand News: झारखंड में सरकार व हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी बहाल नहीं किए जा रहे हटाए गए संगीत शिक्षक

छठ में बढ़ जाती है डिमांड

खड़री देवी ने बताया कि वे वर्षों से यह काम करते आ रहे हैं. छठ पूजा के आसपास इसकी डिमांड बढ़ जाती है. इसलिए परिवार के सभी सदस्य मिलकर यह काम करते हैं, ताकि अधिक से अधिक सूप-टोकरी बनायी जा सके. बांस से बनी टोकरियों को व्यापारी खरीदकर ले जाते हैं. सूप 50 रुपये, डलिया 150 रुपये, सूपति 25 रुपये, खांचा 60 रुपये और पंखा 10 रुपये में बिक्री की जाती है. इसके लिए पुरुष बांस के झुंड से हरे बांस को काट कर लाते हैं और महिलाएं एवं बच्चे मिलकर इसकी बुनाई करते हैं. इसी से परिवार का भरण-पोषण होता है.

Also Read: 200 करोड़ का मनरेगा घोटाला! केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत पर लिया संज्ञान

घर के बच्चे भी काम में बंटाते हैं हाथ

शेड के नीचे बैठकर ये बांस की टोकरियां बनाते हैं. कुछ लोग अपने घर के आंगन में भी यह काम करते हैं. फिलहाल शेड जर्जर हो चुका है. इस कारण इसके नीचे बैठकर काम करने में डर रहता है. नौवीं कक्षा के चेतलाल महली, आठवीं के शंकर महली, किरण कुमारी और छठीं कक्षा की काजल कुमारी स्कूल में छुट्टी के दिन एवं पढ़ाई से फुर्सत मिलने पर इस काम में जुट जाते हैं. सभी लोगों के सहयोग से ये कार्य हो रहा है.

रिपोर्ट : उमेश कुमार, जामताड़ा

Next Article

Exit mobile version