Chaiti Chhath Puja 2021: डूबते सूर्य को अर्घ्य आज, जानें अर्घ देने का सही समय व विधि

Chaiti Chhath Puja 2021, Nahay Khay, Kharna, Chaiti Chhath Puja 2021 Argh Date: नवरात्रि पर्व के दौरान चैती छठ महापर्व शुरू हो रहा है. चैती छठ 16 अप्रैल से आरंभ होकर 19 अप्रैल तक चलेगा. यह पर्व चार दिन तक चलता है. छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय के दिन से होती है. आस्था का महापर्व छठ साल में दो बार मनाया जाता है. यह पर्व चैत्र माह में और कार्तिक माह में मनाया जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 18, 2021 11:43 AM

Chaiti Chhath Puja 2021, Nahay Khay, Kharna, Chaiti Chhath Puja 2021 Argh Date: नवरात्रि पर्व के दौरान चैती छठ महापर्व शुरू हो रहा है. चैती छठ 16 अप्रैल से आरंभ होकर 19 अप्रैल तक चलेगा. यह पर्व चार दिन तक चलता है. छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय के दिन से होती है. आस्था का महापर्व छठ साल में दो बार मनाया जाता है. यह पर्व चैत्र माह में और कार्तिक माह में मनाया जाता है.

चैती छठ व्रत नियम और पूजा विधि

छठ पर्व 16 अप्रैल 2021 दिन शुक्रवार को चतुर्थी तिथि के दिन नहाय-खाय किया जाएगा. वहीं, 17 अप्रैल दिन शनिवार को पंचमी तिथि में लोहंडा या खरना होगा. इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम में गुड़ वाली खीर का प्रसाद बनाकर सूर्य देव की पूजा करने के बाद इसी प्रसाद के साथ कुछ खाया जाता है.

छठ पर्व की तिथियां

  • नहाय-खाय तिथि: 16 अप्रैल 2021, शुक्रवार

  • खरना तिथि: 17 अप्रैल 2021, शनिवार

  • शाम के अर्घ्य की तिथि: 18 अप्रैल 2021, रविवार को

  • सुबह के अर्घ्य की तिथि: 19 अप्रैल 2021, सोमवार को

अर्घ्य का सही समय

  • 18 अप्रैल 2021 को सूर्यास्त शाम 06 बजकर 11 मिनट में होगा

  • 18 अप्रैल 2021 को सूर्योदय सुबह 05 बजकर 24 मिनट पर होगा.

ऐसे में सूर्यास्त और सूर्योदय से पहले अर्घ्य दे दें. अर्घ्य देने के लिए ताम्र का पात्र ही उपयोग में लाना चाहिए. दूध और जल से अर्घ्य देना चाहिए.

18 अप्रैल को दिया जाएगा सूर्य देवता को अर्घ्य

18 अप्रैल 2021 दिन रविवार को षष्ठी तिथि को सांयकाल में महिलाएं नदी और तालाब तट पर पहुंचकर सूर्य देवता को अर्घ्य देगी. फिर 19 अप्रैल सप्तमी तिथि को सुबह नदी और तालाब के तट पर पहुंचकर उगते सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाएगा. इस व्रत को करने के नियम इतने कठिन होते हैं कि इसी वजह से इसे महापर्व और महाव्रत के नाम से जाना जाता है.

छठी मैया का प्रसाद

छठी मैया की पूजा बड़ी सावधानी पूर्वक की जाती हे. छठी मैया को प्रसाद के रूप में गुड़ और चावल से बनी खीर, गेंहू के आटे और गुड़ से बने ठेकुआ, पकवान, पूड़ी, फल, फूल, ईख आदि प्रसाद के रूप में चढ़ायी जाती है. व्रती नदी, तालाब या सरोवर में खड़े होकर सूर्यदेव का ध्यान करते हैं. जब सूर्योदय होता है तो व्रती एक-एक कर सभी डालों को अर्घ्य देते हैं. इस अवसर पर दूध और जल का भी अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद व्रती जल ग्रहण करके व्रत का समापन करते हैं.

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