Baisakhi 2022: कल मनाया जाएगा बैसाखी का त्योहार, जानें शुभ मुहूर्त और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

Baisakhi 2022 Date, Time, Puja Vidhi:पंचांग के अनुसार, बैसाखी 14 अप्रैल को पड़ रही है. वैशाख महीने के प्रथम दिन को बैसाखी कहा जाता है. बैसाखी से पंजाबी नववर्ष का आरंभ होता है. हम आपको बैसाखी से जुड़ी कुछ बेहद ही दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 13, 2022 8:21 AM

Baisakhi 2022 Date, Time, Puja Vidhi: बैसाखी खुशहाली और समृद्धि का पर्व माना जाता है. खासकर, ये पावन त्योहार भारतीय किसानों का माना जाता है. पंजाब, हरियाणा में बैसाखी का त्योहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस ख़ुशी के मौके पर भांगड़ा नृत्य देखते ही बनता है. इस बार बैसाखी 14 अप्रैल को पड़ रही है. ऐसे में आज हम आपको बैसाखी से जुड़ी कुछ बेहद ही दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं.

बैसाखी 2022 की तिथि एवं मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, बैसाखी के दिन आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है. पूर्णिमा में विशाखा नक्षत्र होने के कारण ही इस माह को बैसाखी कहते हैं. अन्य शब्दों में कहें तो, वैशाख महीने के प्रथम दिन को बैसाखी कहा जाता है. बैसाखी से पंजाबी नववर्ष का आरंभ होता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, बैसाखी को हर साल 13 अप्रैल या 14 अप्रैल के दिन मनाया जाता है. इस बार बैसाखी 14 अप्रैल को पड़ रही है.

बैसाखी क्यों मनाते हैं?

सिख समुदाय बैसाखी को नए साल के रुप में मनाते हैं. इस दिन तक फसलें पक जाती हैं और उनकी कटाई होती है, उसकी खुशी में भी यह त्योहार मनाया जाता है. इसका एक धार्मिक महत्व भी है. सिखों के 10वें गुरु गोविन्द सिंह जी ने बैसाखी के अवसर पर 13 अप्रैल 1699 को खालसा पंथ बनाया था, इसलिए भी सिख समुदाय के लिए बैसाखी का विशेष महत्व है. इस दिन केसरगढ़ साहिब आनंदपुर में विशेष उत्सव का आयोजन किया जाता है क्योंकि यहां पर ही खालसा पंथ की स्थापना हुई थी.

कैसे मनाते हैं बैसाखी का उत्सव

बैसाखी के दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है. लोग तड़के सुबह उठकर गुरूद्वारे में जाकर प्रार्थना करते हैं. गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब जी के स्थान को जल और दूध से शुद्ध किया जाता है. उसके बाद पवित्र किताब को ताज के साथ उसके स्थान पर रखा जाता है.

बैसाखी का उत्सव

बैसाखी के अवसर पर गुरुद्वारों को सजाया जाता है, वहां पर विशेष पूजा-अर्चना एवं प्रार्थना की जाती है. गुरू वाणी सुनते हैं. श्रद्धालुओं के लिए खीर, शरबत आदि बनाई जाती है. लंगर लगाए जाते हैं. शाम के समय में घरों के बाहर लकड़ियां जलाई जाती हैं. लोग गोल घेरा बनाकर वहां खड़े होते हैं और उत्सव मनाते हैं. गिद्दा और भांगड़ा करके अपनी खुशियों का इजहार करते हैं.

Next Article

Exit mobile version