Ahoi Ashtami 2025: अहोई अष्टमी पर स्याहु माला क्यों पहनी जाती है? जानें इसे धारण करने की सही विधि

Ahoi Ashtami 2025: अहोई अष्टमी के दिन माता अहोई की पूजा-अर्चना की जाती है. इस पर्व को माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं. इस दिन स्याहु माला पहनने की परंपरा भी है.चलिए जानते हैं कि इस दिन स्याहु माला पहनने को इतना महत्व क्यों दिया जाता है, इसे कैसे धारण करना चाहिए और इस माला से जुड़ी अन्य जरूरी खास बातें क्या हैं.

By Neha Kumari | October 12, 2025 5:01 PM

Ahoi Ashtami 2025: अहोई अष्टमी कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस व्रत को माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं. इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत करती हैं और शाम को अहोई माता की पूजा-अर्चना करने के बाद तारों को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त करती हैं.इस दिन पूजा के समय स्याहु माला पहनने का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं कि अहोई अष्टमी पर स्याहु माला पहनने के पीछे धार्मिक कारण क्या है.

अहोई अष्टमी के दिन स्याहु माला पहनने का धार्मिक महत्व क्या है?

हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी के दिन स्याहु माला पहनना अत्यंत शुभ माना गया है.स्याहु माला को दीर्घायु और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. ऐसा मान्यता है कि इस माला को धारण करने से माता अहोई प्रसन्न होती हैं और संतान पर आने वाले संकट दूर होते हैं.

स्याहु माला कैसा होता है?

स्याहु माला सामान्यत: चांदी की बनी होती है. इसमें छोटी-छोटी मोतियों को धागे में पिरोकर माला बनाई जाती है. इसे पहने से पहले पूजा के समय माता को अर्पित करना शुभ माना जाता है.

स्याहु माला की पूजा कैसे करें?

अहोई अष्टमी के दिन माला पर रोली और चंदन लगाएं.

माला पर अक्षत छिड़कें.

इसे माता अहोई को अर्पित करें.

माता को माला पहनाने के बाद तिलक करें.

 स्याहु माला को धारण कैसे करें?

माता अहोई को माला पहनाने और तिलक करने के बाद परनाम करें.

संतान की लंबी उम्र की कामना करें.

इसके बाद माला को उतारकर स्वयं धारण करें.

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