Sarhul 2024 : सरहुल गीत

Sarhul 2024 प्रकृति पर्व सरहुल के अवसर पर सरहुल गीत गाए जाते हैं, जो सबका मन मोह लेते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 10, 2024 4:17 PM

बिराज बड़ाईक-

प्रकृति पर्व सरहुल को झारखंड में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. सरहुल के मौसम में प्रकृति श्रृंगार की हुई युवती के समान खूबसूरत नजर आती है. इस अवसर पर आदिवासी समुदाय के लोग खुशी से नाचते-गाते हैं. मान्यता है कि इस दिन धरती और सूर्य का विवाह हुआ था. पढ़िए सरहुल के मौके पर गाया जाने वाला गीत…

बन में का फुला फुले
गोटा जंगल चारेका दिसाय रे
गोटा जंगल…1
बन में सरई फुला फुले
गोटा जंगल चारेका दिसाय रे
गोटा जंगल …2
हो हाईल रे
महुआ रे महुआ पतई
महुआ पतई सभे क्षईर गेलक रे
महुआ पतई, सभे झईर गेलक
हाय रे महुआ पतई सभे क्षईर गेलक…3
डाईर ऊपर खोंच लागे
खोंच ऊपर फुला रे
फुला गिरे धरती सोभाय रे
फुला गिरे धरती सोभाय …4
हो हाईल रे–
खेईल खेला, खेला रे
लहई लेबे डांडा नेवाय के
सहायक अध्यापिका
नागपुरी विभाग
महिला महाविद्यालय, लोहरदगा

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