”मसला दिल का था और दिल ही मसला गया…”

रांची : ‘मसला दिल का था और दिल ही मसला गया…, बहुत दूर तक जाना पड़ता है कि मेरे नजदीक कौन है…, घूंघट की भी अजीब प्रथा है, ओढ़ने वाला बेफिक्र रहता है और देखने वाला बेचैन…’ ये अल्फाज झारखंड की राजधानी रांची के प्रसिद्ध हास्य कवि नरेश बंका के हैं. शनिवार को प्रभात खबर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 31, 2019 8:27 PM

रांची : ‘मसला दिल का था और दिल ही मसला गया…, बहुत दूर तक जाना पड़ता है कि मेरे नजदीक कौन है…, घूंघट की भी अजीब प्रथा है, ओढ़ने वाला बेफिक्र रहता है और देखने वाला बेचैन…’ ये अल्फाज झारखंड की राजधानी रांची के प्रसिद्ध हास्य कवि नरेश बंका के हैं. शनिवार को प्रभात खबर के सभागार में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस कवि सम्मेलन में सुरिंदर कौर नीलम, सीमा चंद्रिका तिवारी, माधवी मेहर, वीणा श्रीवास्तव, नेहाल सरैयावी, डॉ शिशिर शर्मा समेत करीब दो दर्जन से अधिक कवि और कवयित्रियों ने शिरकत की.

प्रभात खबर की ओर से आयोजित कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर कवि नरेश बंका उपस्थित थे और उन्होंने हास्य रस की कविताओं और क्षणिकाओं से कवि सम्मेलन का आगाज किया. उन्होंने कहा, ‘शांति की इच्छा हो, तो पहले शांति को बुलाओ.’ इसके अलावा, इस कवि सम्मेलन में कवि अमिताभ ने अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा, ‘बरसकर थम गयी हवाओं में नमी सी है, बहुत है शोख मौसम में तुम्हारी पर कमी सी है. मुहब्बत के परिंदे को अभी परवाज मिल जाए, हटा दो बर्फ सी चादर हया की कमी सी है.’

कवयित्री चंद्रिका तिवारी ने अपनी प्रस्तुति में दो गजलें पेश की. उन्होंने कहा, ‘इरादे नेक हों, तो ये कदम रोका नहीं करते, न दिल में प्रेम हो गालों पर फिर बोसा नहीं करते.’ कवि सम्मेलन में माधवी मेहर ने अपनी गजल ‘ये कौन सी बला है, जिसे इश्क कहते हैं’ को पेश किया. वहीं, शायर प्रवीण परिमल ने अपने शेर ‘कभी शोला कभी पत्थर, कभी लोहा समझता है, हमारा हौसला न जाने क्या-क्या समझता है.’ नवोदित कवयित्री स्नेहा चौधरी ने ‘मोम’ नामक कविता सुनाई. इस कवि सम्मेल में उपस्थित कवि और कवयित्रियों ने अपनी-अपनी रचनाओं से उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया.

Next Article

Exit mobile version