डिजिटल विकास हो

हम कुछ एप या प्रोग्राम या हार्डवेयर बनाने तक अपने को सीमित न रखें, बल्कि भविष्य को देखते हुए तकनीक विकसित करें.

By संपादकीय | June 5, 2020 2:45 AM

देश-दुनिया में सूचना तकनीक को सरल और सुलभ बनाने में बड़ी तकनीकी कंपनियों की अग्रणी भूमिका रही है, लेकिन कुछ कंपनियों के एकछत्र नियंत्रण से डिजिटल परिवेश को लोकतांत्रिक बनाने की राह में बाधाएं भी पैदा हुई हैं. शीर्ष इंटरनेट कंपनी गूगल ने अपने प्ले स्टोर से दो भारतीय एप को हटा दिया है. इनमें से एक एप से मोबाइल में मौजूद चीनी एप की पहचान होती थी. इस एप का उद्देश्य उन एप को हटाकर चीन की वर्चस्ववादी मानसिकता पर दबाव बनाना था. दूसरा एप छोटी अवधि के मनोरंजक वीडियो के प्रसारण के लिए बनाया गया था. गूगल ने इन्हें हटाने से पहले न तो कोई चेतावनी दी और न ही उनमें वांछित सुधार करने का मौका दिया.

जो कारण इस कंपनी ने बताये हैं, वे भी मामूली खामियां ही हैं. उम्मीद है कि जल्दी ही इन्हें या ऐसे अन्य एप को फिर से जगह मिल सकेगी, पर गूगल की इस कार्रवाई से यही इंगित होता है कि तकनीकी कंपनियां अपने फायदे के लिए ताकतवर देशों के दबाव में काम करती हैं, चाहे वह देश चीन हो या कोई और. उल्लेखनीय है कि डिजिटल और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दावा करनेवाली ये कंपनियां चीन और अन्य एकाधिकारवादी देशों में वहां की सरकारों के निर्देशों को आसानी से स्वीकार कर लेती हैं क्योंकि उनकी नजर असल में मुनाफे पर होती है. तकनीक के तेज विस्तार के बावजूद मोबाइल फोन और कंप्यूटरों के सिस्टम और एप्लीकेशन पर गिनी-चुनी कंपनियों का ही कब्जा है.

वे इनके इस्तेमाल को नियंत्रित करने के साथ डिजिटल कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा भी हासिल करती हैं. इसके अलावा भारी मात्रा में डेटा एकत्र कर भी ये कंपनियां फायदा उठाती हैं. अंतरराष्ट्रीय नियमन की व्यवस्थाओं की कमजोरियों को भी ये अपने हक में इस्तेमाल करती हैं और समुचित कर देने से बच जाती हैं. भारत सरकार पिछले कुछ समय से डेटा सुरक्षा और कराधान के मौजूदा तंत्र को बदलने की कोशिश कर रही है, पर अभी तक इसका ठोस नतीजा सामने नहीं आया है.

चूंकि तकनीक पर हमारी निर्भरता लगातार बढ़ती जा रही है और कोरोना संकट ने इस निर्भरता को सघन ही बनाया है, सो स्वावलंबन के लक्ष्य को सामने रखते हुए भारत को डिजिटल दुनिया में अपनी विशिष्ट जगह बनाने पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है. हमारे पास न तो संसाधनों की कमी है, न कौशल की और न ही उपभोक्ताओं की.

यदि सरकार और उद्योग जगत इस क्षेत्र में अनुसंधान और निर्माण को प्रोत्साहित करे, भारत तकनीक के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपस्थिति बन सकता है. वैश्विक डिजिटल विकास में भारत का बड़ा योगदान रहा है. अब आवश्यकता है कि अपनी क्षमताओं को निर्धारित दिशा में अग्रसर किया जाये. इस संदर्भ में यह भी ख्याल रखना होगा कि हम कुछ एप या प्रोग्राम या हार्डवेयर बनाने तक अपने को सीमित न रखें, बल्कि भविष्य को देखते हुए तकनीक विकसित करें.