आउटसोर्सिंग हब बनने की राह

भारत दुनिया में आउटसोर्सिंग सेवाओं का बड़ा निर्यातक देश है. भारत की 200 से अधिक आइटी फर्म दुनिया के 80 से ज्यादा देशों में काम कर रही हैं.

By डॉ. जयंतीलाल | July 22, 2021 8:19 AM

इस समय भारत के ग्लोबल आउटसोर्सिंग का हब बनने का परिदृश्य दिखायी दे रहा है. हाल ही में सरकार ने बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं. सरकार ने ‘वॉयस’ बेस्ड बीपीओ यानी टेलीफोन के जरिये ग्राहकों को सेवा देनेवाले क्षेत्रों के लिए दिशा-निर्देश को सरल, स्पष्ट और उदार बनाया है.

इसके तहत घरेलू और अंतरराष्ट्रीय इकाइयों के बीच अंतर को समाप्त कर दिया गया है तथा अन्य सेवा प्रदाताओं (ओएसपी) के बीच इंटरकनेक्टिविटी की अनुमति सहित कई रियायतें दी गयी हैं. ओएसपी से आशय ऐसी कंपनियों से हैं, जो दूरसंचार संसाधनों का उपयोग कर आइटी युक्त सेवाएं, कॉल सेंटर या अन्य प्रकार की आउटसोर्सिंग सेवाएं दे रही हैं. इसमें टेलीमार्केटिंग, टेलीमेडिसिन आदि सेवाएं शामिल हैं. नये दिशा-निर्देशों से कारोबार में सुगमता आयेगी. इससे देश की टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री को मदद मिलेगी.

आउटसोर्सिंग का मतलब है कोई कार्य संस्थान के परिसर के बाहर देश या विदेश में कहीं भी उपयोगी एवं मितव्ययी रूप से संपन्न कराना. ऐसा आइटी के बढ़ते प्रभाव के चलते संभव हो सका है. यह माना जा रहा है कि अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा समेत कई देश आइटी, फाइनेंस, मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन, इंश्योरेंस, बैंकिंग, एजुकेशन आदि क्षेत्रों में इसलिए कामयाब हैं,

क्योंकि वे गुणवत्तापूर्ण काम करनेवाले देशों में आउटसोर्सिंग के लिए एजेंसियों की सहायता ले रहे हैं. पश्चिमी और यूरोपीय देशों में श्रम लागत भारत की तुलना में करीब पांच-दस गुना तक महंगी है. रिपोर्टों में भी यह बात सामने आ रही है कि कोविड-19 के मद्देनजर अमेरिका सहित विकसित देशों की अर्थव्यवस्था के विकास में उद्योगों की उत्पादन लागत घटाने के परिप्रेक्ष्य में आउटसोर्सिंग आवश्यक है.

आउटसोर्सिंग के क्षेत्र में भारत की प्रगति के पीछे देश में संचार का मजबूत ढांचा प्रमुख कारण है. नयी कंपनियों के अस्तित्व में आने से दूरसंचार की दरों में भारी गिरावट आयी है. उच्च कोटि की त्वरित सेवा, आइटी एक्सपर्ट और अंग्रेजी में पारंगत युवाओं की बड़ी संख्या ऐसे अन्य कारण हैं, जिनकी बदौलत भारत पूरे विश्व में आउटसोर्सिंग के क्षेत्र में अग्रणी बना हुआ है.

भारत में बीपीओ उद्योग वैश्विक ग्राहकों के लिए प्रक्रियागत नवाचार कर रहा है. कोविड-19 के समय में वर्क फ्रॉम होम से आइटी कंपनियों का कार्बन उत्सर्जन घटना भारत के लिए लाभप्रद हो गया है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की नयी आर्थिक नीति से भारत से आउटसोर्सिंग कारोबार के तेजी से बढ़ने की संभावनाएं बढ़ी हैं.

भारत दुनिया में आउटसोर्सिंग सेवाओं का बड़ा निर्यातक देश है. भारत की 200 से अधिक आइटी फर्म दुनिया के 80 से ज्यादा देशों में काम कर रही हैं. पूर्व संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद के मुताबिक, भारत में बीपीओ क्षेत्र में करीब 14 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है. भारत के बीपीओ उद्योग का आकार 2019-20 में 37.6 अरब डॉलर का था, यह आकार कोविड-19 की वजह से तेजी से बढ़ता हुआ 2025 तक 55.5 अरब डॉलर (करीब 3.9 लाख करोड़ रुपये) के स्तर पर पहुंच सकता है.

आउटसोर्सिंग की संभावनाओं को साकार करने के लिए कई बातों पर ध्यान देना होगा. आउटसोर्सिंग उद्योग के लिए कृषि, स्वास्थ्य और वेलनेस, टेलीमेडिसिन, शिक्षा और कौशल के क्षेत्र से संबंधित नये टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस बनाने की जरूरत है. आउटसोर्सिंग उद्योग को महानगरों की सीमाओं के बाहर छोटे शहरों और कस्बों तक ले जाने की जरूरत है.

भारत के स्टार्टअप के संस्थापकों को आउटसोर्सिंग से संबंधित वैश्विक स्तर के उत्पाद बनाने पर ध्यान देना होगा, जिससे आउटसोर्सिंग के क्षेत्र में वैश्विक प्रतिस्पर्धा में देश की जगह बनायी जा सके. आउटसोर्सिंग के क्षेत्र में दुनिया के कई देशों से मिल रही चुनौतियों को ध्यान में रखना होगा. चीन सुनियोजित रूप से आगे बढ़ रहा है. हमें भविष्य के लिए प्रतिभा निर्माण पर जोर देना होगा. हम सभी वाकिफ हैं कि सॉफ्टवेयर उद्योग में हमारी अगुवाई की मुख्य वजह हमारी सेवाओं और प्रोग्राम्स का सस्ता होना है.

इस स्थिति को बरकरार रखने के लिए हमें तकनीकी दक्ष लोगों की उपलब्धता बनाये रखनी होगी. नयी पीढ़ी को आइटी की नये दौर की शिक्षा देने के लिए समुचित निवेश की व्यवस्था करनी होगी. नये दौर की तकनीकी जरूरतों और इंडस्ट्री की अपेक्षाओं के अनुरूप कौशल प्रशिक्षण से नयी पीढ़ी को सुसज्जित करना होगा. शोध, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के मापदंडों पर आगे बढ़ना होगा. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल रियलिटी, रोबोटिक प्रोसेस, ऑटोमेशन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, बिग डाटा एनालिसिस, क्लाउड कंप्यूटिंग और ब्लॉकचेन जैसे क्षेत्रों में बड़ी संख्या में युवाओं को कुशल बनाना होगा.

आउटसोर्सिंग उन्नयन के ऐसे प्रयासों से ही दुनिया भारतीय आइटी प्रतिभाओं का लोहा मानती रहेगी तथा भारतीय प्रतिभाएं देश की अर्थव्यवस्था की ताकत बनते हुए दिखायी देंगी. हमें आउटसोर्सिंग के लिए अमेरिकी बाजार के साथ-साथ यूरोप और एशिया प्रशांत क्षेत्र के विभिन्न देशों में नयी व्यापक संभावनाओं को मुठ्ठियों में लेना होगा. हमें आउटसोर्सिंग क्षेत्र में बढ़त बनाये रखने के लिए एयरपोर्ट, सड़क और बिजली जैसे बुनियादी क्षेत्र में तेजी से विकास करना होगा. भारत अब बीपीओ से संबंधित सरकार के नये दिशा-निर्देशों के उपयुक्त कार्यान्वयन से ग्लोबल आउटसोर्सिंग हब बनने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगा.

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