जवानों की शहादत पर नहीं होनी चाहिए सियासत

45 जवानों की शहादत के आंसू अभी सूखे भी नहीं कि सियासत शुरू हो गयी. किसी भी लोकतांत्रिक देश में सियासत चलाने के लिए एक से अधिक राजनीतिक पार्टियां होती हैं, जो सत्ता के लिए एक-दूसरे के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप कर दूसरे राजनीतिक पार्टियों को विपक्ष में बैठाने के लिए जद्दोजहद करते रहते हैं, परंतु बात […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 21, 2019 6:05 AM
45 जवानों की शहादत के आंसू अभी सूखे भी नहीं कि सियासत शुरू हो गयी. किसी भी लोकतांत्रिक देश में सियासत चलाने के लिए एक से अधिक राजनीतिक पार्टियां होती हैं, जो सत्ता के लिए एक-दूसरे के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप कर दूसरे राजनीतिक पार्टियों को विपक्ष में बैठाने के लिए जद्दोजहद करते रहते हैं, परंतु बात जब देश की हो तो हम सब एक हैं.
भारत के संविधान में वर्णित है कि भारत एकता और अखंडता का घोतक है. लेकिन आज की राजनीति पर अगर दृष्टिगोचर करें तो कुछ नेता अपनी छवि चमकाने के लिए संविधान में वर्णित एकता और अखंडता को दरकिनार कर अपने देश को ही सवालों के घेरे में खड़े कर देते हैं, ऐसी मानसिकता देश के लिए खतरनाक है.
अभिनव कुमार, लोहिया नगर (बेगूसराय)

Next Article

Exit mobile version