अपने देश में हो गये बेगाने

सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर मुद्दे पर अपने नफा नुकसान के मुताबिक राजनीति कर रही है. सत्ता पक्ष इसे साहसपूर्ण कदम बता कर अपनी पीठ थप-थपा रही है, वहीं विपक्ष भी अाक्रामक रुख अपनाये हुए है. राजनीतिक दलों को विषय की गंभीरता को समझना चाहिए, क्योंकि जरा सी चूक संबंधित प्रांत को […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 9, 2018 7:39 AM
सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर मुद्दे पर अपने नफा नुकसान के मुताबिक राजनीति कर रही है. सत्ता पक्ष इसे साहसपूर्ण कदम बता कर अपनी पीठ थप-थपा रही है, वहीं विपक्ष भी अाक्रामक रुख अपनाये हुए है.
राजनीतिक दलों को विषय की गंभीरता को समझना चाहिए, क्योंकि जरा सी चूक संबंधित प्रांत को सांप्रदायिक दंगों की आग में झोंक सकता है. इसका राजनीतिक लाभ लेना समाज और देश के लिए खतरनाक है.
हालांकि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर से पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय फखरुद्दीन अली अहमद के परिवार के सदस्यों, सेना के पूर्व जवान अजमल हक और भाजपा विधायक अनंत कुमार माले जैसे लोगों का नाम गायब होना, इसकी खामियों को उजागर करता है. एेसे लोग जो हृदय और आत्मा से भारतीय हैं, उसे नागरिक मानने से इनकार करना, बेटे को मां से अलग करने जैसा ही है, जो असहनीय है.
मो नेहालुद्दीन, धनबाद

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