जनेऊ वाली सियासत

जनेऊ की खास बात यह है कि आमतौर पर वह तब ही नजर आता है, जब पहननेवाला खुले बदन पूजा-अर्चना कर रहा हो. यह हिंदुत्व की एक पहचान भी है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का जनेऊ धार्मिकता का रहस्य है, जो सीधे तौर पर दिल में नहीं उतरता. इसी के मद्देनजर राहुल बाबा ने सोमनाथ […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 4, 2017 6:17 AM
जनेऊ की खास बात यह है कि आमतौर पर वह तब ही नजर आता है, जब पहननेवाला खुले बदन पूजा-अर्चना कर रहा हो. यह हिंदुत्व की एक पहचान भी है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का जनेऊ धार्मिकता का रहस्य है, जो सीधे तौर पर दिल में नहीं उतरता. इसी के मद्देनजर राहुल बाबा ने सोमनाथ मंदिर का दौरा किया है.
आज तक भारत वर्ष में राहुल का धर्म न कभी पूछा गया या न उन्होंने कभी जनेऊ दिखाया. शायद वोट बैंक का तकाजा है, जो जनेऊ दिखाना पड़ रहा है. नेताओं को हवन और मंदिरों का दौरा करना पड़ रहा है. यूट्यूब पर कुछ जनेऊ लहरा रहे हैं, कुछ कुर्ते लहरा रहे है. अब क्रोसिये की जालीदार टोपी नहीं, बल्कि कंधे पर पड़ा मोटा जनेऊ भारतीय राजनीति का नया फैशन ट्रस्ट है.
इसके कई खतरे भी है, साहब. यह क्रोसिये की वह जालीदार टोपी नहीं है, जिसे पहन कर डंके की चोट पर नेता इफ्तार पार्टियां देते थे और उसे उनकी धर्मनिरपेक्षता का सर्टिफिकेट माना जाता था. राजनीति के नये दौर में जनेऊ की विरासत का मालिक किसे माना जायेगा, बड़ा सवाल है.
अवधेश कुमार राय, धनबाद

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