क्यों हो रहा है कृषि विधेयक का विरोध ? पढ़ें क्या है फायदा क्या है नुकसान

कृषि विधेयक को लेकर हंगामा हो रहा है. मोदी सरकार इस बिल को किसानों के हित में बता रही है वहीं विपक्ष इस बिल के विरोध में खड़ा है कई जगहों पर किसान आंदोलन कर रहे हैं. इससे पहले कि हम इसे विस्तार से समझने की कोशिश करें आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान पढ़िये

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 18, 2020 4:26 PM

नयी दिल्ली : कृषि विधेयक को लेकर हंगामा हो रहा है. मोदी सरकार इस बिल को किसानों के हित में बता रही है वहीं विपक्ष इस बिल के विरोध में खड़ा है कई जगहों पर किसान आंदोलन कर रहे हैं. इससे पहले कि हम इसे विस्तार से समझने की कोशिश करें आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान पढ़िये

उन्होंने कहा, लोकसभा में ऐतिहासिक कृषि सुधार विधेयक पारित किये गये हैं. इन विधेयकों ने हमारे अन्नदाता किसानों को अनेक बंधनों से मुक्ति दिलायी है. इन सुधारों से किसानों को अपनी उपज बेचने में और ज्यादा विकल्प और ज्यादा अवसर मिलेंगे. मैं देश के किसानों को इन विधेयकों के लिए बधाई देता हूं. इस बिल के विरोध में खाद्य प्रसंस्‍करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया है.

कौन से बिल हैं

1 कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल

2 आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल

3 मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता बिल.

क्यों हो रहा है विरोध –

इसका विरोध करने वालों का तर्क है कि इसका पूरा नुकसान किसानों को उठाना पड़ेगा. किसान और इससे जुड़े संगठनों का कहना है इससे किसान और उसकी उपज पर प्राइवेट कंपनियों का कब्जा हो जाएगा और सारा फायदा बड़ी कंपनियों को मिलेगा कृषि उत्पाद मार्केट कानूनों (राज्य APMC Act) किसानों को फ्री व्यापार की सुविधा मिलती है. इससे मंडियां खत्म हो जायेगी. अध्यादेश से मंडी एक्ट केवल मंडी तक ही सीमित कर दिया गया है और मंडी में खरीद-फरोख्त पर शुल्क लगेगा जबकि बाहर बेचने-खरीदने पर इससे छूट मिलेगी.

इस नियम से खासकर मंडी व्यापारी बहुत नाराज हैं. उनका कहना है कि इससे बाहरी या प्राइवेट कारोबारियों को फायदा पहुंचेगा. इस तरह का कानून की मदद से छोटी – छोटी मंडिया पूरी तरह खत्म हो जायेंगी. बड़ी कंपनियां की मनमानी बढ़ेगी और छोटे व्यापारी संकट में आ जायेंगे. कंपनियां किसानों की जमीन पर नियंत्रण करने लगेंगी. कालाबाजरी बढ़ेगी. किसान पूरी तरह से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के दायरे में आ जायेगा. कई राजनीतिक दलों ने इस बिल को जमींदारी सिस्टम तक बता दिया है कंपनियां जमींदार की तरह किसानों से फसल उत्पादन करवायेंगी और मुनाफा कमायेंगी.

अब समझिये सरकार क्या कह रही है

सरकार कह रही है हमारा लक्ष्य किसानों की आय दोगुणी करना है. हम इसी लक्ष्य की प्राप्त करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विधेयक के पक्ष में ट्वीट करते हुए कहा, ये विधेयक सही मायने में किसानों को बिचौलियों और तमाम अवरोधों से मुक्त कर देगा. कृषि सुधार से किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए नये अवसर मिलेंगे. जिनसे किसानों का मुनाफा बढ़ेगा. किसानों को आधुनिक टेक्नोलॉजी का लाभ मिलेगा, किसान मजबूत होंगे.

सरकार इसके पक्ष में लगातार बयान दे रही है एक तरफ से सभी सरकारी मंत्रियों का बयान मिलाकर देखें तो उनका कहना है. किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा औऱ जहां ज्यादा मुनाफा मिलेगा वहां अपनी फसल बेच सकेगा. उसे मंडी की तरह कोई टैक्स नहीं देना. मंडी में इस वक्त किसानों से साढ़े आठ फीसद तक मंडी शुल्क वसूला जाता है. उपज खरीदने के तीन दिन के अंदर किसान को पैसा देना होगा.

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बरकरार रखा जाएगा.नये कानून के तहत एमएमसी खत्म नहीं होगी. बाहर बेचने पर कोई टैक्‍स नहीं देना होगा, ऐसे में किसानों को फायदा मिल सकता है. अगर बाहर कम कीमत मिलती है तो तो किसान मंडी आकर फसल बेच सकते हैं जहां उन्‍हें एमएसपी मिलेगा.

Posted By – Pankaj Kumar Pathak

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