ट्रेड यूनियनों ने की गरीबों को फ्री में राशन और हर महीने 7,500 रुपये पेंशन देने की मांग, नहीं दिए जाने पर 26 मई को मनेगा ‘काला दिवस’

ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, आगामी 26 मई को काला दिवस मनाने के दौरान अपनी मांगों के समर्थन में जगह-जगह धरना-प्रदर्शन किया जाएगा और इसमें शामिल प्रदर्शनकारी काली पट्टी लगाकर काला झंडा फहराएंगे. ट्रेड यूनियनों के संयुक्त बयान में कहा गया है कि उन्होंने सरकार से देश के सभी लोगों के लिए फ्री में कोरोना का टीका लगाने की मांग की है.

By Prabhat Khabar Print Desk | May 20, 2021 7:20 PM

नई दिल्ली : देश की 10 ट्रेड यूनियनों ने केंद्र सरकार से गरीबों को हर महीने फ्री में राशन और 7,500 रुपये पेंशन देने समेत पांच मुद्दों को पूरा करने की मांग की है. इन ट्रेड यूनियनों ने यह भी कहा है कि सरकार की ओर से उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया, तो आगामी 26 मई को उनकी ओर से ‘भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिवस’ मनाया जाएगा. गुरुवार को 10 ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच की ओर से इस बात का ऐलान किया गया है.

ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, आगामी 26 मई को काला दिवस मनाने के दौरान अपनी मांगों के समर्थन में जगह-जगह धरना-प्रदर्शन किया जाएगा और इसमें शामिल प्रदर्शनकारी काली पट्टी लगाकर काला झंडा फहराएंगे. ट्रेड यूनियनों के संयुक्त बयान में कहा गया है कि उन्होंने सरकार से देश के सभी लोगों के लिए फ्री में कोरोना का टीका लगाने की मांग की है.

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही उनकी मांग में गरीबों को हर महीने मुफ्त में राशन और 7,500 रुपये की न्यूनतम पेंशन देने, तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने, किसानों के फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून लाने और पिछले संसद से पास चार श्रम संहिताओं को वापस लेना शामिल है. उन्होंने कहा कि इन चार श्रम संहिताओं के नियमों को अधिसूचित नहीं किए जाने की वजह से इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है.

ट्रेड यूनियनों के इस संयुक्त मंच में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एम्प्लॉयड वूमेन्स एसोसिएशन (एसईडब्ल्यूए), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ़ ट्रेड यूनियन्स (एक्टू), लेबर प्रोग्रेसिव फ़ेडरेशन (एलपीएफ) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) आदि शामिल हैं.

ट्रेड यूनियनों की सरकार से सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी विभागों के निजीकरण और निगमीकरण की नीति पर रोक लगाने की भी मांग है. उनका कहना है कि भाजपा और उसके सहयोगी दलों के शासित राज्यों द्वारा तीन साल की अवधि के लिए 38 श्रम कानूनों के मनमाने निलंबन को वापस लिया जाना चाहिए. यूनियनों का आरोप है कि भाजपा और उसके सहयोगी दल द्वारा शासित राज्य खुले तौर पर कई अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं.

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Posted by : Vishwat Sen

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