Corona Update: कोरोना के इन मरीजों पर कारगर है ‘प्लाज्मा थेरेपी’, ICMR की स्टडी में पता चला

प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल हल्के और मध्यम दर्जे के मरीजों में ही किया जाना चाहिये. कोरोना संक्रमण से पीड़ित गंभीर मरीजों में प्लाज्मा का इस्तेमाल फायदेमंद नहीं होगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 22, 2020 11:52 AM

नयी दिल्ली: कोरोना महामारी गंभीर होती जा रही है. वैसे तो इस महामारी से निपटने के लिये वैक्सीन ही एकमात्र उपाय है. लेकिन इन दिनों कोरोना मरीजों के इलाज के लिये प्लाज्मा थेरेपी भी आजमाई जा रही है. कई स्थानों पर इसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं.

क्या होती है प्लाज्मा थेरेपी

प्लाज्मा थेरेपी में कोविड-19 से रिकवर हो चुके मरीज के रक्त का प्लाज्मा लिया जाता है और फिर उसे किसी कोरोना मरीज को दिया जाता है. हालांकि, इस थेरेपी को लेकर कई सारे सवाल उठे. क्योंकि कोरोना मरीजों के प्रकार अलग-अलग है.

कुछ बिना लक्षणों वाले मरीज हैं तो कुछ हल्के लक्षणों के साथ संक्रमित हैं. कुछ की स्थिति गंभीर है और उन्हें वेंटीलेटर सपोर्ट पर रखा जा रहा है. सवाल इसी बात को लेकर है कि प्लाज्मा थैरेपी से किस टाइप के मरीजों को फायदा पहुंच रहा है.

आईसीएमआर ने कराया स्टडी

इसी सवाल को लेकर इंडियन मेडिकल रिसर्च काउंसिल ने एक शोध करवाया. इस स्टडी में देश के तकरीबन 52 संस्थानों ने भाग लिया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 24 संस्थानों ने माना कि कोरोना मरीजों के इलाज के लिये प्लाज्मा थेरेपी बहुत काम आई और उन्हें बेहतर परिणाम मिले.

इनमें से पांच संस्थानों ने कहा कि, उन्हे शोध के लिये पर्याप्त संख्या में प्लाज्मा डोनर नहीं मिले. वहीं 3 संस्थानों ने कहा कि उन्हें प्लाज्मा थेरेपी की सफलता को लेकर अभी भी कुछ संदेह है.

मध्यम श्रेणी के मरीजों के लिये

हालांकि डॉक्टरों और वैज्ञानिकों का कहना है कि प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल हल्के और मध्यम दर्जे के मरीजों में ही किया जाना चाहिये. कोरोना संक्रमण से पीड़ित गंभीर मरीजों में प्लाज्मा का इस्तेमाल फायदेमंद नहीं होगा. कुछ मायनों में ये खतरनाक भी साबित हो सकता है.

कब दिया जाये मरीज को प्लाज्मा

स्टडी में शामिल वैज्ञानिकों ने कहा कि रिकवर हो चुके मरीज का प्लाज्मा 1 महीने के भीतर कलेक्ट कर लेना चाहिये और उसे अधिकतम पांच दिन के अंदर संक्रमित मरीज को चढ़ा दिया जाना चाहिये, तभी इसका परिणाम मिल सकेगा.

स्टडी के दौरान देखा गया कि कुछ मरीजों का ऑक्सीजन लेवल 90 के नीचे चला गया था और उन्हें तत्काल 10 से 12 लीटर ऑक्सीजन की जरूरत थी. लेकिन जैसे ही उन्हें प्लाज्मा दिया, ऑक्सीजन लेवल वापस 90 पर आ गया और ऑक्सीजन की जरूरत भी केवल 2 लीटर रह गयी.

हालांकि उन्होंने इसको लेकर एक चेतावनी भी दी है. कई मामलों में देखा गया कि ठीक हो चुके मरीजों में 1 महीने बाद दोबारा कोरोना के लक्षण देखे गये. ऐसी स्थिति में चुनौती, वैसे रिकवर्ड मरीजों को ढूंढ़ने की होगी जिनमें ठीक होने के बाद एंटीबॉडी विकसित हुई है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का प्रयास

प्लाज्मा थेरेपी की सफलता को देखते हुये केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस दिशा में सकारात्मक प्रयास किया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने दिल्ली में प्लाज्मा बैंक का उद्घाटन किया. इस दौरान दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी मौजूद रहे. बता दूं कि प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना को मात देने वालों में सत्येंद्र जैन का नाम भी शामिल है.

सार्स और मर्स में भी हुआ इस्तेमाल

स्टडी में ये बात सामने आई है कि प्लाज्मा थेरेपी से हल्के और मध्यम श्रेणी के लक्षणों वाले मरीजों को ठीक होने में 4 दिन का समय लगा. हालांकि ये पहली बार नहीं है जब प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है. इससे पहले भी, साल 2002 में सार्स और 2012 में मर्स महामारी के दौरान भी इस थेरेपी का इस्तेमाल किया गया था.

Posted By- Suraj Thakur

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