पुंछ में मारे गए लोगों के परिजन से मिलने जा रहीं महबूबा मुफ्ती को पुलिस ने रोका, धरने पर बैठीं

पुंछ जिले में सुरनकोट पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत ढेरा की गली और बुफलियाज के बीच धत्यार मोड़ पर आतंकवादियों ने सेना के वाहनों पर घात लगाकर हमला कर दिया था, जिसमें चार जवान शहीद हो गए थे.

By ArbindKumar Mishra | December 30, 2023 6:17 PM

जम्मू-कश्मीर के पुंछ में पिछले दिनों मारे गए 3 नागरिकों के परिजन से मिलने जा रहीं पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को पुलिस ने सुरक्षा कारणों से डीकेजी रोड पर रोक दिया. जिसके बाद महबूबा वहीं पर धरने पर बैठ गईं. उन्होंने कहा, मैं यहीं बैठी रहूंगी.

महबूबा मुफ्ती बोलीं- हम से कुछ छिपाने की हो रही कोशिश

पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा, बीजेपी अध्यक्ष रविंदर रैना यहां आ सकते हैं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता आ सकते हैं लेकिन वे हमें बताते हैं कि यहां कुछ खतरा है. मुझे लगता है कि यहां सबसे बड़ा खतरा ये लोग हैं. वे नहीं चाहते कि हम उन परिवारों से मिलें. फिर वे कुछ छिपाने की कोशिश कर रहे हैं.

क्या है मामला

कथित तौर पर सेना की हिरासत में तीन आम नागरिकों की मौत हो गई थी. दरअसल पुंछ जिले में सुरनकोट पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत ढेरा की गली और बुफलियाज के बीच धत्यार मोड़ पर आतंकवादियों ने सेना के वाहनों पर घात लगाकर हमला कर दिया था, जिसमें चार जवान शहीद हो गए थे. सेना इस हमले के बाद 27 वर्ष से 42 वर्ष के आयुवर्ग के तीन आम नागरिकों को पूछताछ के लिए कथित तौर पर अपने साथ ले गई थी. वे तीनों लोग 22 दिसंबर को मृत मिले थे.

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मुफ्ती ने राज्यपाल से मामले पर हस्तक्षेप करने की मांग की थी

महबूबा मुफ्ती ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से हस्तक्षेप करने का आग्रह करते हुए आरोप लगाया था कि आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले के मद्देनजर सुरक्षा बलों ने कई युवाओं को उनके परिवारों को सूचित किए बिना हिरासत में रखा है.

पीडीपी ने पुंछ की तय यात्रा से पहले महबूबा को नजरबंद किए जाने का किया था दावा

पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने दावा किया था कि पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को पुंछ जिले के सुरनकोट की उनकी निर्धारित यात्रा से पहले नजरबंद कर दिया गया था. पीडीपी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा था, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को सुरनकोट की उनकी निर्धारित यात्रा से पहले जबरन नजरबंद कर दिया गया. उनका सुरनकोट जाने का उद्देश्य स्थिति का आकलन करना और सेना की हिरासत में मारे गए पीड़ितों के परिवारों को सांत्वना देना था.

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