कुंडली सिंघु बॉर्डर से हटने लगी झोपड़ियां, संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक खत्म

कुंडली सिंधु सीमा से किसानों की झोपड़ियां हटने लगी है. वहीं,संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक खत्म हो गई है. सरकार और किसान संगठनों के बीच सहमति बन चुकी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 9, 2021 2:44 PM

तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद अपनी दूसरी मांगों को लेकर दिल्ली सीमा पर डटे किसान मान गए हैं. दिल्ली सीमा पर एक साल से भी अधिक समय से डटे किसानों ने घर वापसी की तैयारी कर ली है. खबरों की मानें तो सिंघु-कोंडली सीमा पर किसानों ने अपने टेंटों को उखाड़ना शुरू कर दिया है. जिन सीमाओं पर किसानों का आंदोलन चल रहा है उसे खाली करने में किसानों को 2 दिन का समय लग सकता है. बताया जा रहा है कि किसान तिरपाल, बिस्तर को ट्रकों में रखना शुरू कर दिया है. किसानों का कहना है कि सरकार ने उनकी मांगों को मान लिया है इसलिए अब वो वापस जा रहे हैं. बताया ये भी जा रहा है कि 11 दिसंबर तक किसान दिल्ली सीमा को छोड़ देंगे.

वहीं, बुधवार यानी कल हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने मीडिया को बताया था कि सरकार की तरफ से किसानों की मांगों को लेकर आए ड्राफ्ट को किसान संगठनों ने मान लिया. उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से बस आधिकारिक पत्र का इंतजार है.

केंद्र के प्रस्ताव में क्या है?

खबरों की मानें तो संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सूत्रों के अनुसार सरकार के तरफ से भेजे गए नए प्रस्ताव पर सहमति बन गई है. इस प्रस्ताव में सरकार ने MSP पर बनी समिति में संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों को शामिल करने की बात मान ली है. सरकार ने अपने इस प्रस्ताव में यह साफ लिखा है कि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे भाजपा शासित राज्यों की सरकारे किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को तुरंत वापस लेने पर सहमत हैं. वहीं, दिल्ली में भी प्रदर्शनकारियों पर दर्ज मामलों को वापस ले लिया जाएगा.

अब तक क्या हुआ?

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले साल सिंतबर में तीन कृषि कानूनों को पास किया था. जिसके खिलाफ 26 नवंबर 2020 से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर किसान डटे हुए हैं. वहीं, 19 नवंबर 2021 को पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था. हालांकि इसके बाद भी किसान एमएसपी और अपने दूसरे मांगों को लेकर अड़े थे. जिसके बाद अब सरकार किसान के मांगों को लेकर आपस में सहमति बन गई है.

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