Kargil Vijay Diwas: पिता के शहीद होने के 6 महीने बाद पैदा हुई बेटी,गर्व से अपने पिता के बारे में कही है ये बात

Kargil Vijay Diwas: मेरे पिता की बाॅडी को खोजकर लाने में 13 दिन लग गये थे, उक्त बातें कारगिल विजय दिवस से पहले लांसनायक राजेंद्र यादव की बेटी मेघा यादव ने कही है, जिसका जन्म कारगिल युद्ध के छह महीने बाद हुआ था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 26, 2021 9:06 AM

Kargil Vijay Diwas: मेरे पिता की बाॅडी को खोजकर लाने में 13 दिन लग गये थे, उक्त बातें कारगिल विजय दिवस से पहले लांसनायक राजेंद्र यादव की बेटी मेघा यादव ने कही है, जिसका जन्म कारगिल युद्ध के छह महीने बाद हुआ था.

सोमवार को कारगिल विजय दिवस है. 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने कारगिल में घुसे विदेशी घुसपैठियों को खदेड़कर बाहर भगा दिया था और अपनी जमीन उनके कब्जे से मुक्त करा ली थी. इस युद्ध में लांसनायक राजेंद्र यादव शहीद हो गये थे.

लांसनायक राजेंद्र यादव की बेटी मेघा यादव अब आर्मी ज्वाइन करना चाहती हैं, लेकिन उनकी मां उसे लेकर थोड़ा घबराई हुई हैं. लांस नायक राजेंद्र यादव की पत्नी सेना से हमेशा जुड़ी रहीं और अपने पति के सहकर्मियों से संबंध रखा.

मेघा यादव ने हिंदुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत में बताया कि जब वे दस साल की हो गयीं, तब तक उन्हें पता नहीं था कि वो एक कारगिल हीरो की बेटी हैं. उन्हें हमेशा यह बताया गया कि पिता बाहर काम करते हैं.

एक दिन मेघा ने अपनी मां को बहुत परेशान किया किया कि पापा आते क्यों नहीं और फोन क्यों नहीं करते हैं. अंतत: उसकी मां ने उसे सारी सच्चाई बतायी कि उसके पिता लांस नायक राजेंद्र यादव ने कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देश के लिए दे दी थी.

मेघा मां से सारी सच्चाई जानकार बहुत भावुक हो गयी, लेकिन उसे गर्व भी बहुत महसूस हुआ. मेघा कहती हैं कि वह अपने पिता की मृत्यु के ठीक छह महीने बाद पैदा हुई थी.

उस दिन मेघा को उसकी मां ने उसके पापा के बारे में बहुत कुछ बताया था. मां ने बताया कि उसके पापा यह चाहते थे कि उनके बच्चे भी सेना में शामिल हों, बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो. मेघा यादव कहती है कि मैं भी सेना में शामिल होना चाहती हूं पर मां घबराती है मेरी सुरक्षा को लेकर. मुझे एनसीसी भी ज्वाइन करने नहीं दिया. वह डर गयी थी.

मेघा यादव अभी इंदौर में स्नातक की पढ़ाई कर रही है और सिविल सेवाओं की भी तैयारी कर रही है. कारगिल विजय दिवस के मौके पर ऐसी कहानियां प्रेरित और गौरवान्वित दोनों ही करती हैं.

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Posted By : Rajneesh Anand

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