चीन को सभी मोर्चे पर भारत ने घेरा, जानें कैसे किया ड्रैगन को पीछे हटने पर मजबूर

नयी दिल्ली : 15 और 16 जून 2020 को लद्दाख के गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद चीन और भारत के बीच तनाव चरम पर है. इस तनाव के बीच भारत के कई मोर्चे पर चीन को ऐसा घेरा कि चीन पीछे हटने को मजबूर हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिलसिलेवार तरीके से चीन को घेरा. वैश्विक स्तर पर चीन को अलग-थलग करने के बाद उसे आर्थिक रूप से भी चोट पहुंचायी गयी. यहां हम आपको बताते हैं कि कैसे भारत ने चीन को सबक सिखाया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 6, 2020 8:00 PM

नयी दिल्ली : 15 और 16 जून 2020 को लद्दाख के गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद चीन और भारत के बीच तनाव चरम पर है. इस तनाव के बीच भारत के कई मोर्चे पर चीन को ऐसा घेरा कि चीन पीछे हटने को मजबूर हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिलसिलेवार तरीके से चीन को घेरा. वैश्विक स्तर पर चीन को अलग-थलग करने के बाद उसे आर्थिक रूप से भी चोट पहुंचायी गयी. यहां हम आपको बताते हैं कि कैसे भारत ने चीन को सबक सिखाया.

भारतीय रेलवे ने चीनी कंपनी का करोड़ों का कॉन्ट्रैक्ट किया कैंसल

चीन के साथ तनाव के बाद भारत ने सबसे पहले एक बड़ा फैसला लेते हुए भारतीय रेलवे के उस करोड़ों के ठेक को रद्द कर दिया जो एक चीनी कंपनी को दिया गया था. चीनी कंपनी बिजिंग नैशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजाइन इंस्टिट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्युनिकेशन लिमिटेड को 2016 में कानपुर और मुगलसराय के बीच 417 किलोमीटर लंबे खंड पर सिग्नल व दूरसंचार के काम का ठेका मिला था. काम की धीमी प्रगति के कारण चीन की इस कंपनी का ठेका रेलवे ने रद्द कर दिया. यह ठेका 417 करोड़ रुपये का है.

इसके बाद उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (यूपीएमआरसी) ने चीन को एक और झटका देते हुए कानपुर और आगरा मेट्रो प्रॉजेक्ट के लिए चाइनीज कंपनी का टेंडर रिजेक्ट कर दिया. कार्पोरेशन ने कानपुर और आगरा मेट्रो परियोजनाओं हेतु मेट्रो ट्रेनों (रोलिंग स्टॉक्स) की आपूर्ति, परीक्षण और चालू करने के साथ-साथ ट्रेन कंट्रोल और सिग्नलिंग सिस्टम का ठेका बॉम्बार्डियर ट्रांसपोर्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को दिया है. इसके लिये चीन की कंपनी सीआरआरसी नैनजिंग पुजहेन लिमिटेड ने भी निविदा भरी थी लेकिन तकनीकी खामियां पाये जाने के कारण चीनी कंपनी को अयोग्य घोषित कर दिया गया.

टिक-टॉक, यूसी ब्राउजर सहित 59 मोबाइल ऐप्स को कर दिया बैन

भारत ने 29 जून को चीन से संबंध रखने वाले 59 मोबाइल ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसमें लोकप्रिय टिकटॉक और यूसी ब्राउजर जैसे ऐप भी शामिल हैं. सरकार ने कहा कि ये ऐप देश की संप्रभुता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं. प्रतिबंधित सूची में वीचैट, बीगो लाइव, हैलो, लाइकी, कैम स्कैनर, वीगो वीडियो, एमआई वीडियो कॉल – शाओमी, एमआई कम्युनिटी, क्लैश ऑफ किंग्स के साथ ही ई-कॉमर्स प्लेटफार्म क्लब फैक्टरी और शीइन शामिल हैं. ऐसे में इस फैसले ने चीनी प्रौद्योगिकी कंपनियों की बड़ी सफाई कर दी है.

दुनिया के बड़े देशों के सामने चीन को कर दिया अलग-थलग

दुनिया की शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं के सामने भारत ने चीन को अलग-थलग कर दिया. कोरोनावायरस के कारण दुनियाभर में चीन के खिलफ पहले से ही आवाज उठते रहे हैं. अमेरिका ने तो कोरोनावायरस को चीनी वायरस का नाम दे दिया था. वहीं जापान के साथ समुंद्र में चीन का विवाद काफी पुराना है. इधर भारत ने रूस के साथ बड़े सैन्य समझौते को मंजूरी देकर भी चीन को औकात दिखाने का काम किया. पिछले कुछ सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे का फायदा चीन के साथ तनाव के बीच भारत को मिल रहा है.

लद्दाख से प्रधानमंत्री मोदी की चीन को चेतावनी

सीमा पर तनाव के बीच अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लद्दाख पहुंच गये और वहां से चीन को चेतावनी दे डाली. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘विस्तारवाद की जिद किसी पर सवार हो जाती है तो उसने हमेशा विश्व शांति के सामने खतरा पैदा किया है. और यह न भूलें इतिहास गवाह है. ऐसी ताकतें मिट गई हैं या मुड़ने को मजबूर हो गयी है.’ उन्होंने अपने संबोधन में यह भी कहा, ‘कमजोर कभी शांति की पहल नहीं कर सकता और वीरता ही शांति की पूर्व शर्त होती है.’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘लद्दाख का ये पूरा हिस्सा, भारत का मस्तक है. 130 करोड़ भारतीयों के मान सम्मान का प्रतीक है. यह भूमि भारत के लिए सर्वस्व त्याग करने के लिए हमेशा तैयार रहने वाले राष्ट्रभक्तों की धरती है.’ लद्दाख क्षेत्र को 130 करोड़ भारतीयों के मान-सम्मान का प्रतीक करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय सेना ने जो पराक्रम दिखाया, उससे दुनिया को भारत की ताकत का संदेश मिल गया. साथ ही उन्होने किसी देश का नाम लिये बिना कहा कि विस्तारवाद का युग समाप्त हो चुका है और यह युग विकासवाद का है.

वार्ता में भारत ने अपना रूख मजबूत रखा, चीनी सेना पीछे हटी

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने रविवार को टेलीफोन पर बात की जिसमें वे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सैनिकों के जल्द से जल्द पीछे हटने पर सहमत हुए. डोभाल और वांग दोनों देशों के बीच सीमा वार्ता से संबंधित विशेष प्रतिनिधि हैं. चीनी सेना ने गलवान घाटी और गोग्रा हॉट स्प्रिंग से सोमवार को अपने सैनिकों की वापसी शुरू कर दी.

भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच गत 30 जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की तीसरे दौर की वार्ता हुई थी जिसमें दोनों पक्ष गतिरोध को समाप्त करने के लिए ‘प्राथमिकता’ के रूप में तेजी से और चरणबद्ध तरीके से कदम उठाने पर सहमत हुए थे. लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की पहले दौर की वार्ता छह जून को हुई थी जिसमें दोनों पक्षों ने गतिरोध वाले सभी स्थानों से धीरे-धीरे पीछे हटने के लिए समझौते को अंतिम रूप दिया था जिसकी शुरुआत गलवान घाटी से होनी थी.

गलवान घाटी से तंबू हटा रही चीनी सैनिक

पूर्वी लद्दाख में तनाव कम होने का पहला संकेत मिला है जहां चीन की सेना ने गलवान घाटी के कुछ हिस्सों से तंबू हटा लिए हैं और सैनिकों को पीछे हटते देखा गया. सरकारी सूत्रों ने सोमवार को बताया कि दोनों सेनाओं के बीच हुई उच्चस्तरीय वार्ता के दौरान हुए समझौते के तहत यह हो रहा है. चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी गश्त बिंदु 14 पर लगाए गए तंबू एवं अन्य ढांचे हटाते हुए देखी गई है. साथ ही बताया कि गलवान और गोगरा हॉट स्प्रिंग इलाके में भी चीनी सैनिकों के वाहनों की इसी तरह की गतिविधि देखी गई है.

Posted By: Amlesh Nandan Sinha.

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