Coronavirus Lockdown : काम के दौरान कोरोना संक्रमित पाया गया कामगार, तो फैक्‍टरी पर नहीं गिरेगी गाज, सरकार ने अफवाहों का किया खंडन

गृह मंत्रालय (home Ministry) ने साफ कर दिया गया है कि लॉकडाउन (CoronaLockdown) के दिशानिर्देशों में किसी कर्मचारी में कोविड-19 (COVID19) संक्रमण की पुष्टि होने पर फैक्टरी को सील करने संबंधी कोई उपबंध नहीं है.

By ArbindKumar Mishra | April 23, 2020 10:26 PM

नयी दिल्‍ली : लॉकडाउन में केंद्र सरकार ने कुछ मामलों में रियायत दी है. जिसमें फैक्‍टरी को खोले जाने का आदेश दिया गया है. इस बीच गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों को लेकर संशय की स्थिति बन गयी और अफवाहें फैलने लगी कि काम के दौरान अगर कोई भी कामगार कोरोना वायरस का पॉजिटिव पाया जाता है, तो फैक्‍टरी को सील कर दिया जाएगा और उसके सीइओ के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. सरकार नेे इन अफवाहों को पूरी तरह से गलत बताया है.

गृह मंत्रालय की ओर से साफ कर दिया गया है कि लॉकडाउन के दिशानिर्देशों में किसी कर्मचारी में कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि होने पर फैक्टरी को सील करने संबंधी कोई उपबंध नहीं है.

गृहमंत्रालय ने कहा, लॉकडाउन दिशानिर्देशों की गलत व्याख्या के चलते कुछ कंपनियों और मीडिया ने आशंकाएं प्रकट की हैं कि अगर काम के दौरान कोई कर्मचारी कोरोना का पॉजिटिव पाया जाएगा तो फैक्‍टरी को 3 महीने के लिए सील कर दिया जाएगा और कंपनी के सीइओ के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि लॉकडाउन दिशानिर्देश का कोई भी उपबंध नहीं कहता है कि फैक्टरी में कोविड-19 के संक्रमित कर्मचारी के पाये जाने पर मुख्य कार्यपालक अधिकारी को कैद की सजा समेत कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

Also Read: Coronavirus Jharkhand Updates : रांची के हिंदपीढ़ी से कोरोना के 6 नये मामले, बेड़ो से दूसरा, झारखंड में संक्रमितों की संख्‍या 56 हुई

गौरतलब है कि पहला लॉकडाउन खत्‍म होने के एक दिन बाद 15 अप्रैल को गृहमंत्रालय ने कुछ दिशानिर्देश जारी किये थे. उसके अनुसार नियमों की परवाह किये बिना सार्वजनिक स्थानों पर थूकने को अपराध बताया था. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कोविड-19 पर रोक के लिए लागू लॉकडाउन के वास्ते जारी अपने संशोधित दिशानिर्देशों में इस कृत्य को संख्त आपदा प्रबंधन कानून के तहत एक संज्ञेय अपराध बना दिया है.

मंत्रालय की ओर से जारी दिशानिर्देशों में सार्वजनिक स्थानों पर फेस मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है. विभिन्न शहरों में नगरपालिका कानूनों के तहत सार्वजनिक स्थानों पर थूकना अपराध है, लेकिन देश में लोगों द्वारा इसे शायद ही गंभीरता से लिया जाता है. बृह्न मुंबई महानगरपालिका ने सार्वजनिक स्थान पर थूकते पकड़े गए व्यक्ति के लिए 1,000 रुपये का जुर्माना निर्धारित किया है. इसी तरह के उपाय दिल्ली नगर निगमों और कई अन्य राज्यों में भी हैं.

Also Read: Covid-19 Update : बिहार का रोहतास बना कोरोना का नया ‘हाॅटस्पॉट’, मुंगेर में संक्रमण ने पकड़ी रफ्तार

बिहार, झारखंड, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, हरियाणा, नागालैंड और असम ने कोविड-19 के प्रकोप के बीच बिना धुंए वाले तंबाकू उत्पादों के उपयोग और सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर रोक के लिए पहले ही आदेश जारी किए हैं. लॉकडाउन तीन मई तक बढ़ाये जाने के मद्देनजर गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए समेकित संशोधित दिशानिर्देशों के तहत आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 (बी) के तहत थूकने को एक जुर्माने के साथ दंडनीय बनाया गया है.

मंत्रालय द्वारा जारी किए गए राष्ट्रीय निर्देशों में कहा गया है, सार्वजनिक स्थानों पर थूकना जुर्माने के साथ दंडनीय होगा. शराब, गुटखा, तंबाकू आदि की बिक्री पर सख्त प्रतिबंध होना चाहिए और थूकना पूरी तरह प्रतिबंधित होना चाहिए निर्देशों को जिला मजिस्ट्रेटों द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत निर्धारित जुर्माने और दंडात्मक कार्रवाई के अनुसार लागू किया जाएगा. निर्देशों में कहा गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत सरकारी आदेशों का पालन करने से इनकार करने पर एक वर्ष तक कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकता है.

Also Read: Coronavirus Pandemic : दिल्‍ली के जहांगीरपुरी से 46 कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद मचा हड़कंप, पूरा इलाका सील

Next Article

Exit mobile version