पढ़ाई में औसत दर्जे वाले स्कूली बच्चों के लिए ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का प्रेरणादायी खत खूब हो रहा वायरल

ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने इसी साल 18 सितंबर को अपने स्‍कूल को एक खत लिखा था. आर्मी पब्लिक स्कूल चंडी मंदिर की प्रिंसिपल को लिखे पत्र में कैप्‍टन सिंह स्‍कूल के बच्‍चों को संबोधित किया है. उन्होंने खत के जरिए बच्चों को नई प्रेरणा देने की कोशिश की है.

By Prabhat Khabar Print Desk | December 10, 2021 11:39 AM

नई दिल्ली: कुन्नुर हादसे के सदमे में पूरा देश आंसू बहा रहा है. नम आंखों से लोग देश के जाबांजों को विदाई दे रहे हैं. इस भीषण हासदे में सिर्फ ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह एकमात्र ऐसे हैं जो जिंदा बच पाए हैं. कैप्टन वरुण सिंह फिलहाल अस्पताल में भर्ती है. उनका इलाज चल रहा है. इन सबके बीच ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की एक चिट्ठी खूब वायरल हो रही है. आइए जानते हैं क्यों खास बनी हुई है कैप्टन की चिट्ठी.

ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने इसी साल 18 सितंबर को अपने स्‍कूल को एक खत लिखा था. आर्मी पब्लिक स्कूल चंडी मंदिर की प्रिंसिपल को लिखे पत्र में कैप्‍टन सिंह स्‍कूल के बच्‍चों को संबोधित किया है. उन्होंने खत के जरिए बच्चों को नई प्रेरणा देने की कोशिश की है. उन्होंने चिट् में बताया है कि पढ़ाई में औसत होना जिंदगी के लक्ष्य को प्रभावित नहीं कर सकता.

क्या लिखा है खत में: ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह खत में लिखा है कि औसत दर्जे के होने का यह मतलब कतई नहीं है कि जिंदगी में आने वाली चीजें भी औसत ही होंगी. उन्होंने कहा है कि अपनी जिंदगी की पुकार सुनिए. आज जो भी काम करते है उसे जी जान से करिए. हिम्मत कभी मत हारिए. जब आप किसी काम में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे तो वो काम भी सबसे बेहतर होगा.

स्कूल को लिखे अपने चार पन्नों के पत्र में ग्रुप कैप्टन ने अपने बारे में भी लिखा है. खासकर नेशनल डिफेंस एकेडमी में बिताए अपने वक्त के बारे में. उन्होंने कहा है कि जब वे युवा कैडेट थे तब उनमें आत्मविश्वास की काफी कमी थी. उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि, फाइटर स्क्वाड्रन में युवा फ्लाइट लेफ्टिनेंट के तौर पर जब मैं कमीशन हुआ तब मुझे एहसास हुआ कि अगर मैं अपना दिमाग और दिल इसमें लगा दूं तो मैं बहुत अच्छा कर सकता हूं. उन्होंने कहा कि यही सोचकर मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश शुरू कर दी.

चिट्ठी में अपने छात्र जीवन के बारे में भी उन्होंने लिखा है. उन्होंने लिखा है कि वो बहुत ही औसत दर्जे के छात्र थे. बड़ी मुश्किल से 12वीं कक्षा में फर्स्ट डिवीजन से पास किया था. उन्होंने कहा कि वो स्पोर्ट्स और दूसरी करिकुलम एक्टिविटी में भी औसत ही थे. लेकिन जब उन्होंने अपनी कमियों को बेहतर करने की कोशिश की तो उनमें बहुत आत्मविश्वास आ गया. कई बार उन्होंने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किय.

Posted by: Pritish Sahay

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