Explainer: मंकीपॉक्स और चिकनपॉक्स के बीच क्या है संबंध! जानिए कब हुई थी Monkeypox की खोज

Explainer: मंकीपॉक्स भी चिकेन पॉक्स की तरह ​बीमारी है. हालांकि, अब यह जानकारी भी सामने आ रही है कि मंकीपॉक्स का चिकन पॉक्स (Chicken Pox)से कोई संबंध नहीं है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 15, 2022 4:48 PM

Explainer: भारत में मंकीपॉक्स का पहला मामला केरल में सामने आया है. इसके खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसी हफ्ते गाइडलाइंस जारी कर दी है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार स्थिति की सावधानीपूर्वक निगरानी करके और राज्यों के साथ समन्वय करके सक्रिय कदम उठा रही है. बता दें कि दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स बीमारी फैल रही है. मंकीपॉक्स कोई बहुत नया वायरस नहीं है. इसके मामले वर्षों पहले भी सामने आ चुके हैं.

मंकीपॉक्स का चिकनपॉक्स से कोई संबंध नहीं!

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मंकीपॉक्स भी चिकेन पॉक्स की तरह ​बीमारी है. हालांकि, अब यह जानकारी भी सामने आ रही है कि मंकीपॉक्स का चिकन पॉक्स (Chicken Pox)से कोई संबंध नहीं है. बताया जा रहा है कि मंकीपॉक्स की खोज 1958 में तब हुई थी, जब शोध के लिए रखे गए बंदरों की कॉलोनियों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए थे. मंकीपॉक्स नाम होने के बावजूद, बीमारी का स्रोत अज्ञात है. वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मंकीपॉक्स वायरल जूनोसिस यानि जानवरों से इंसानों में प्रसारित होने वाला वायरस है, जिसमें चेचक के समान लक्षण होते हैं. हालांकि चिकित्सकीय दृष्टि से यह कम गंभीर है.

चेचक की वैक्सीन ले चुके लोग मंकी पॉक्स से भी सुरक्षित रह पाएंगे?

बताते चलें कि चेचक के लिए बीसीजी वैक्सीन दी जाती है. चेचक के खिलाफ दुनियाभर में व्यापक टीकाकरण अभियान चलाया गया था और इसके फलस्वरूप कई देशों को चेचक मुक्त घोषित किया जा चुका है. अब सवाल यह है कि क्या चेचक की वैक्सीन ले चुके लोग मंकी पॉक्स से भी सुरक्षित रह पाएंगे. एम्स में क्रिटिकल केयर विभाग के प्रोफेसर डॉ युद्धवीर सिंह इस पर कहते हैं कि मंकीपॉक्स वायरस चेचक की ही तरह है. उनका कहना है कि चिकेन पॉक्स फैमिली का वायरस मंकीपॉक्स फिर से फैल रहा है. ऐसे में जिन लोगों को चिकन पॉक्स की वैक्सीन लग चुकी है, वे मंकीपॉक्स से कुछ हद तक सुरक्षित रह सकते हैं. हालांकि, युवाओं में यह वायरस फैल सकता है.

बढ़ सकते है जानवरों से फैलने वाली बीमारियां

इधर, डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, अफ्रीका में गत एक दशक में जानवरों से इंसानों में बीमारी फैलने की संख्या में 60 फीसदी तक वृद्धि हुई है, जो चिंताजनक संकेत है और धरती पर भविष्य में जानवरों से फैलने वाली बीमारियों जैसे मंकीपॉक्स, इबोला और कोरोना वायरस के मामले बढ़ सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य निकाय ने बृहस्पतिवार को जारी एक बयान में कहा कि पिछले दशक की तुलना में वर्ष 2012-2022 को समाप्त हुए दशक में जानवरों से इंसानों में होने वाली बीमारियों की संख्या में 63 फीसदी की वृद्धि देखी गई.

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