भारतीय वैज्ञानिकों की शोध में एन 95 मास्क ज्यादा कारगर

एक अध्ययन में कहा गया है कि एन-मास्क कोरोना वायरस के प्रसार को घटाने में ज्यादा कारगर हो सकता है . साथ ही, संक्रमण को रोकने के लिए मास्क नहीं लगाने के बजाए कोई भी मास्क लगाना ज्यादा ठीक रहेगा. अध्ययन करने वाली टीम में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक भी थे .

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 26, 2020 6:49 PM

नयी दिल्ली : एक अध्ययन में कहा गया है कि एन-मास्क कोरोना वायरस के प्रसार को घटाने में ज्यादा कारगर हो सकता है . साथ ही, संक्रमण को रोकने के लिए मास्क नहीं लगाने के बजाए कोई भी मास्क लगाना ज्यादा ठीक रहेगा. अध्ययन करने वाली टीम में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक भी थे .

शोधकर्ताओं ने कहा कि खांसने या छींकने के दौरान मुंह से निकले अति सूक्ष्म कणों का हवा में प्रसार हो सकता है तथा कोविड-19 जैसी संक्रामक बीमारियों के प्रसार को यह और फैला सकता है . इसरो के पद्मनाभ प्रसन्न सिम्हा और कर्नाटक में श्री जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवास्कुलर साइंसेज एंड रिसर्च के प्रसन्न सिम्हा मोहन राव ने मुंह पर मास्क लगे होने की स्थिति में छींक या खांसी के दौरान निकले कण के फैलने का विश्लेषण किया .

Also Read: कोविशील्ड का ह्यूमन ट्रायल शुरू दो लोगों को दिया वैक्सीन, रिकवर रेट भी 76 फीसद तक पहुंचा

जर्नल ‘फिजिक्स ऑफ फ्लूइड्स’ में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि छींकने या खांसने से निकलने वाले कण को फैलने से रोकने में एन-95 मास्क काफी कारगर पाया गया . शोधकर्ताओं ने कहा कि एन-95 मास्क मुंह से निकलने वाले अति सूक्ष्म कणों की रफ्तार को घटा देता है और इसके प्रसार को 0.1 और 0.25 मीटर तक सीमित कर देता है . उन्होंने कहा कि सीधे छींकने या खांसने से मुंह से निकलने वाले छोटे कण तीन मीटर की दूरी तक जा सकते हैं.

हालांकि नष्ट होने वाला मास्क भी पहन लिया जाए तो यह 0.5 मीटर की दूरी तक इसे रोक देता है . सिम्हा ने बताया, ‘‘अगर कोई व्यक्ति संक्रमण को फैलने से इस तरह सीमित कर दे तो गैर संक्रमित लोगों के लिए ज्यादा बेहतर स्थिति होगी.” राव और सिम्हा ने कहा कि सघन आबादी और तापमान का भी जुड़ाव है . उन्होंने स्लीरेन तकनीक का इस्तेमाल करते हुए धनत्व के हिसाब से कणों के दूरी तय करने का पता लगाया.

शोधकर्ताओं ने कहा कि एन-95 मास्क 0.1 और 0.25 मीटर के बीच क्षैतिज तौर पर संक्रमण को रोकने में उपयोगी है . इस्तेमाल के बाद फेंक दिए जाने वाला मास्क भी 0.5 और 1.5 मीटर तक इसे सीमित कर देता है. सिम्हा ने कहा कि अगर कोई मास्क सारे सूक्ष्म कणों को नहीं भी रोक पाता है तो भी यह मास्क नहीं लगाने की तुलना में ज्यादा फायदेमंद है क्योंकि यह एक साथ भारी मात्रा में निकलने वाली छोटी बूंदों को रोक सकता है.

शोधकर्ताओं ने इस विचार का भी खंडन किया कि छींकते समय मुंह को बांह की ओर कर लेना एक अच्छा विकल्प है . उन्होंने कहा कि छोटे कण कहीं से भी फैल सकते हैं और विभिन्न दिशाओं में इसका प्रसार हो सकता है. सिम्हा ने कहा, ‘‘चूंकि मास्क ही बचाव के लिए पूरी तरह कारगर उपाय नहीं है इसलिए उचित दूरी भी बनाए रखनी चाहिए

Posted By – Pankaj Kumar Pathak

Next Article

Exit mobile version