भारत की आपत्ति के बावजूद PoK वाले कश्मीर में बिजली परियोजना पर काम कर रहा चीन

भारत की आपत्ति के बावजूद चीन अरबों डॉलर के सीपीईसी (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में करीब 1,124 मेगावाट बिजली परियोजना पर काम शुरू करने जा रहा है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को पाकिस्तान के ऊर्जा मंत्री उमर अयूब की अध्यक्षता में आयोजित निजी बिजली और बुनियादी ढांचा बोर्ड (पीपीआईबी) की 127वीं बैठक में इस कोहाला पनबिजली परियोजना का ब्योरा पेश किया गया.

By Prabhat Khabar Print Desk | June 2, 2020 4:24 PM

नयी दिल्ली/इस्लामाबाद : भारत की आपत्ति के बावजूद चीन अरबों डॉलर के सीपीईसी (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में करीब 1,124 मेगावाट बिजली परियोजना पर काम शुरू करने जा रहा है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को पाकिस्तान के ऊर्जा मंत्री उमर अयूब की अध्यक्षता में आयोजित निजी बिजली और बुनियादी ढांचा बोर्ड (पीपीआईबी) की 127वीं बैठक में इस कोहाला पनबिजली परियोजना का ब्योरा पेश किया गया.

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द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के अनुसार बैठक में चीन के थ्री गॉर्ज्स कॉरपोरेशन, पीओके और पीपीआईबी के अधिकारियों के बीच कोहाला पनबिजली परियोजना पर काम शुरू करने को लेकर त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किया गया. यह परियोजना झेलम नदी पर बनायी जाएगी और इसका उद्देश्य पाकिस्तान में उपभोक्ताओं के लिए पांच बिलियन यूनिट से अधिक स्वच्छ और कम लागत वाली बिजली उपलब्ध कराना है.

अखबार ने आगे बताया कि यह इस क्षेत्र में एक स्वतंत्र बिजली उत्पादक (आईपीपी) में 2.4 बिलियन अमरीकी डॉलर के सबसे बड़े निवेशों में से एक है. अखबार ने इस बात का भी जिक्र किया है कि करीब 3,000 किलोमीटर लंबे सीईपीसी का उद्देश्य चीन और पाकिस्तान को रेल, सड़क, पाइपलाइन और ऑप्टिकल केबल फाइबर नेटवर्क से जोड़ना है. यह चीन के शिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है, जिससे अरब सागर तक चीन की पहुंच बनती है.

बता दें कि पीओके से होकर गुजरने वाले सीपीईसी को लेकर भारत ने चीन के सामने अपना विरोध जाहिर कर चुका है. पिछले महीने ही भारत ने पाकिस्तान को गिलगिट-बाल्टिस्तान में बांध बनाने की खातिर एक मेगा ठेका देने का विरोध करते हुए कहा था कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे के तहत इस तरह की परियोजनाओं को अंजाम देना उचित नहीं है.

विदेश मंत्रालय ने पिछले महीने नयी दिल्ली में कहा था कि हमारी स्थिति सुसंगत और स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों के पूरे क्षेत्र भारत के अभिन्न और अविभाज्य अंग हैं. उसने कहा कि हमने पाकिस्तान के अवैध कब्जे के तहत भारतीय क्षेत्रों में ऐसी सभी परियोजनाओं पर पाकिस्तान और चीन के साथ अपने विरोध और साझा चिंताओं को लगातार व्यक्त किया है.

पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक अयूब खान के पोते उमर अयूब ने बैठक के दौरान अपने संबोधन में पनबिजली उत्पादन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए बुनियादी ढांचे की सराहना की. उन्होंने कहा कि सरकार दीर्घकालिक ऊर्जा स्थिरता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ है, जिसके लिए नवीकरणीय ऊर्जा, जलविद्युत ऊर्जा और स्वदेशी कोयला आधारित परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है.

Posted By : Vishwat Sen

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