Child Marriage: बाल विवाह पर रोकथाम के लिए तीन चरण में चलेगा 100 दिवसीय अभियान
केंद्र सरकार ने वर्ष 2024 में देश को बाल विवाह से मुक्त करने का अभियान चलाया. इस अभियान का मकसद देश को वर्ष 2030 तक बाल विवाह से मुक्त करना था. इसके लिए सरकार की ओर से जागरूकता अभियान, सामाजिक कार्यक्रम और सामाजिक भागीदारी पर जोर देने का निर्णय लिया गया. इस कड़ी में गुरुवार को केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर 100-दिवसीय गहन जागरूकता अभियान शुरू होगा. बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के एक वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में इसका आयोजन किया जाएगा.
Child Marriage: देश में बाल विवाह पर रोकथाम के लिए कानून बनाया गया. लेकिन कानून के बावजूद बाल विवाह पर पूरी तरह रोक नहीं लग सकी. केंद्र सरकार ने वर्ष 2024 में देश को बाल विवाह से मुक्त करने का अभियान चलाया. इस अभियान का मकसद देश को वर्ष 2030 तक बाल विवाह से मुक्त करना था. इसके लिए सरकार की ओर से जागरूकता अभियान, सामाजिक कार्यक्रम और सामाजिक भागीदारी पर जोर देने का निर्णय लिया गया. इस कड़ी में गुरुवार को केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर 100-दिवसीय गहन जागरूकता अभियान शुरू होगा. बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के एक वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में इसका आयोजन किया जाएगा.
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 27 नवंबर 2024 को बाल विवाह मुक्त भारत अभियान शुरू किया था और 27 नवंबर 2025 को इसका एक वर्ष पूरा हो जाएगा. गुरुवार को होने वाले इस समारोह में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी और राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर मौजूद रहेंगी. कार्यक्रम में बाल विवाह उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय संकल्प लेने के साथ ही देश भर से प्रेरक परिवर्तन की कहानियों और अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं के अनुभव पर आधारित विशेष रूप से निर्मित फिल्म का प्रदर्शन होगा. इस कहानियों के जरिए सामूहिक प्रगति का जश्न मनाया जाएगा और मिशन के अगले चरण के लिए नए संकल्प के साथ जुटने का संकल्प लिया जाएगा.
तीन चरण में चलेगा अभियान
बाल विवाह को रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तीन-चरण की योजना के साथ यह अभियान चलाया जाएगा. इस योजना का मकसद समुदायों को सक्रिय करना और सतत कार्रवाई को प्रोत्साहित करना है. पहले चरण के तहत स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में जागरूकता गतिविधियां शुरू होगी, जिनके तहत वाद-विवाद, निबंध प्रतियोगिताएं, संवादात्मक सत्र और संकल्प समारोह का आयोजन होगा.
दूसरे चरण में बाल अधिकारों, सुरक्षा और सशक्तिकरण पर संदेशों को बढ़ाने के लिए धार्मिक नेताओं, कम्युनिटी इन्फ्लुएंसर और विवाह सेवा प्रदाताओं के साथ काम किया जायेगा. वहीं तीसरे चरण में ग्राम पंचायतों और नगरपालिका वार्डों को अपने अधिकार क्षेत्र को बाल-विवाह-मुक्त घोषित करने वाले प्रस्ताव पारित करने के लिए संगठित करने का काम होगा.
यह राष्ट्रीय अभियान स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, पंचायती राज, ग्रामीण विकास और शिक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर क्रियान्वित होगा. इस 100-दिवसीय अभियान के माध्यम से मंत्रालय देश भर के नागरिकों, संस्थाओं और सामुदायिक नेताओं से इस आंदोलन में शामिल होने और बाल विवाह मुक्त भारत के निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त करने का आह्वान करने का काम करेगा. गौरतलब है कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 के 2019-21 के डेटा के मुताबिक बाल-विवाह के मामले में पश्चिम बंगाल और बिहार सबसे आगे है. इन राज्यों में केंद्र विशेष अभियान चलाएगा.
