चंद्रयान या कुछ और…ऑस्ट्रेलिया में समंदर किनारे पाये गये रहस्यमय टुकड़े का क्या है सच?

ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी ने समुद्र किनारे रहस्यमय टुकड़े की तस्वीर साझा की है. जिसमें वह एक कांसे का एक बड़ा धातु नजर आ रहा है. उसकी बनावट सिलिंडरनुमा है. एक स्थानीय ने बताया कि उसकी लंबाई करीब 10 फीट और चौड़ाई 8 फीट है.

By ArbindKumar Mishra | July 31, 2023 4:58 PM

ऑस्ट्रेलियाई समुद्र तट पर पाये गये रहस्यमय टुकड़े को लेकर कई दिनों से मीडिया में चर्चा हो रही है. स्थानीय लोगों के लिए कौतूहल का विषय बन गया है. कुछ लोगों ने इसे चंद्रयान- 3 से जोड़कर देखा था. संभावना जतायी जा रही थी कि चंद्रयान-3 का मलवा हो सकता है. हालांकि इसरो ने इसे खारिज कर दिया है .

ऑस्ट्रेलिया में समंदर किनारे पाये गये रहस्यमय टुकड़े का क्या है सच

ऑस्ट्रेलियाई समुंदर के किनारे पाये गये रहस्यमय टुकड़े का सच दो हफ्ते बाद सामने आ चुका है. ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी ने इसका संबंध भारत से जोड़ा है. ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया और बताया, हमने निष्कर्ष निकाला है कि पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में ज्यूरियन खाड़ी के पास समुद्र तट पर स्थित वस्तु ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के तीसरे चरण का मलबा है. पीएसएलवी इसरो का एक मध्यम भार का लॉन्च व्हीकल है.

ऑस्ट्रेलियाई एजेंसी ने मलबे को सुरक्षित रखा

ऑस्ट्रेलियाई एजेंसी ने ट्वीट में बताया कि समुद्र किनारे तो मलबा मिला है, उसे सुरक्षित रखा लिया गया है. इसे इसरो के साथ मिलकर इसके उचित निपटारे के बारे में काम किया जाएगा.

ऑस्ट्रेलियाई एजेंसी ने जारी की मलबे की तस्वीर

ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी ने समुद्र किनारे रहस्यमय टुकड़े की तस्वीर साझा की है. जिसमें वह एक कांसे का एक बड़ा धातु नजर आ रहा है. उसकी बनावट सिलिंडरनुमा है. एक स्थानीय ने बताया कि उसकी लंबाई करीब 10 फीट और चौड़ाई 8 फीट है.

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चंद्रयान से मलबे को जोड़ा गया था

ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी ने जो तस्वीर शेयर की थी, उसको चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग से जोड़ा गया था. बताया गया था कि चंद्रयान-3 को जिस पीएसएलवी रॉकेट से लॉन्च किया गया था, उसी का हिस्सा हो सकता है. हालांकि इसे इसरो में तुरंत ही खारिज कर दिया था. ऑब्जेक्ट पर कई समुद्री जीव लटके हुए थे. ऑब्जेक्ट को हाल के दिनों का नहीं बल्कि कई महीनों पुराना बताया गया. जो कभी समुद्र में गिरा होगा, जो बाद में बहकर तट पर पहुंच गया. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा था कि यह भारत को हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है. जबतक वस्तु का परीक्षण नहीं किया जाएगा. यह बताना काफी मुश्किल है कि यह भारत का है या नहीं है.

चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को चंद्रमा की सतह के लिए भरी थी उड़ान

गौरतलब है कि चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को चंद्रमा की सतह के लिए उड़ान भरी थी. इसरो ने कहा है कि वह आगामी 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने की कोशिश करेगा.

आज रात पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकल जाएगा चंद्रयान-3

इसरो ने कहा, चंद्रयान को कक्षा में ऊपर उठाने की अगली प्रक्रिया ‘ट्रांसलूनार इंजेक्शन (टीएलआई)’ एक अगस्त 2023 को मध्य रात्रि 12 बजे से एक बजे के बीच की जाएगी.इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि टीएलआई की प्रक्रिया के बाद चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकल जाएगा और उस पथ पर अग्रसर हो जाएगा, जो उसे चंद्रमा के करीब ले जाएगा. अधिकारी के मुताबिक, दूसरे शब्दों में कहें तो एक अगस्त को टीएलआई प्रक्रिया पूरी होने के बाद यान पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकल जाएगा और चंद्रमा के करीब पहुंचने के अपने सफर की शुरुआत करेगा. उन्होंने बताया कि टीएलआई प्रक्रिया चंद्रयान-3 को ‘लूनार ट्रांसफर ट्रैजेक्टरी’ (चंद्र स्थानांतरण प्रक्षेपवक्र) यानी चंद्रमा की कक्षा में दाखिल होने के सफर पर ले जाएगी.

इसरो ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में ऊपर उठाने की पांचवीं कवायद सफलतापूर्वक पूरी की

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने ‘चंद्रयान-3’ को चंद्रमा की कक्षा में ऊपर उठाने की पांचवें चरण की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी कर ली. इस तरह की प्रत्येक प्रक्रिया का मतलब है कि यान पृथ्वी की कक्षा से आगे निकल रहा है और चंद्रमा की कक्षा के करीब पहुंच रहा है. इसरो ने कहा कि यह कार्य बेंगलुरु में इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) से किया गया. इसरो ने कहा, “यान के 127609 किलोमीटर X 236 किलोमीटर की कक्षा में पहुंचने की उम्मीद है.

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