सेंट्रल स्कूल सर्विस कमीशन की नियुक्ति में धांधली पर कलकत्ता हाइकोर्ट सख्त, 350 का वेतन रोकने का आदेश

माध्यमिक शिक्षा परिषद ने कोर्ट में दावा किया गया कि स्कूल सेवा आयोग की सिफारिश पर 350 लोगों की नियुक्ति हुई, जबकि आयोग ने कहा कि उसने सिफारिश नहीं की. इस पर जज ने कहा कि पहले इनका वेतन रोका जाये.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 2, 2021 9:26 PM

कोलकाता: पश्चिम बंगाल सेंट्रल स्कूल सर्विस कमीशन (सीएसएससी) की नियुक्ति में धांधली का मामला गहराता जा रहा है. ग्रुप डी के बाद अब ग्रुप सी की नियुक्तियों में भी धांधली सामने आयी है. गुरुवार को इससे संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गांगुली ने ग्रुप सी के 350 कर्मचारियों का वेतन रोकने का आदेश दिया.

इससे पहले कोर्ट ने ग्रुप डी के 542 कर्मचारियों का वेतन रोकने का आदेश जारी किया था. उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले कलकत्ता हाईकोर्ट ने पूर्व मेदिनीपुर के एक व्यक्ति का वेतन रोकने का निर्देश दिया था, जिसकी नियुक्ति सबसे पहले ग्रुप सी में हुई थी. इसके बाद सीएसएससी को 48 घंटे में नियुक्ति से संबंधित दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिया था.

गुरुवार को जब कलकत्ता हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई हुई, तो न्यायाधीश ने कहा कि सीएसएससी द्वारा गठित पैनल की मियाद खत्म होने के बाद भी ग्रुप सी में 350 लोगों की नियुक्ति की सिफारिश की गयी है. इसलिए इन सभी का वेतन रोका जायेगा. जज ने सीएसएससी से पूछा है कि पैनल की मियाद खत्म होने के बाद इन कर्मचारियों की नियुक्ति कैसे हुई?

  • सीएसएससी की नियुक्ति प्रक्रिया में हुई थी धांधली

  • हाईकोर्ट ने सीएसएससी से तलब की विस्तृत रिपोर्ट

  • अब ग्रुप सी की नियुक्तियों में गड़बड़ी सामने आयी

इस बारे में उन्होंने सीएसएससी से विस्तृत रिपोर्ट तलब की. यह भी कहा कि इन 350 लोगों में से अगर किसी की नियुक्ति पैनल की मियाद खत्म होने से पहले हुई हो, तो उसका वेतन नहीं रोका जायेगा. हाईकोर्ट ने कहा कि चार दिनों के अंदर स्कूल सेवा आयोग एवं जिला शिक्षा अधिकारी ऐसे कर्मियों की सूची सौंपे, जिनका वेतन रोका जाना है.

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माध्यमिक शिक्षा पर्षद व स्कूल सेवा आयोग के बीच फिर तकरार

गुरुवार को सुनवाई के दौरान माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से न्यायालय के समक्ष दावा किया गया कि स्कूल सेवा आयोग की सिफारिश पर ही 350 लोगों की नियुक्ति हुई है, जबकि आयोग का कहना था कि उन्होंने सिफारिश नहीं की है. दोनों संस्थाओं के बयान से न्यायाधीश भी आश्चर्यचकित हो गये और कहा कि पहले इन लोगों का वेतन रोका जाये.

साथ ही कथित तौर पर गैरकानूनी तरीके से नियुक्त हुए लोगों को भी मामले में पार्टी बनाने की अर्जी पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि 350 लोगों को अगर इसमें जोड़ा जायेगा, तो मामला करने वालों की बड़ी धनराशि खर्च होगी. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पास बड़ी धनराशि है, इसलिए अगर वह चाहे तो नियुक्त लोगों को भी पार्टी बना सकता है.

Posted By: Mithilesh Jha

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