लोकपाल कानून को लटकाकर रखना न्यायसंगत नहीं : सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वर्ष 2013 का लोकपाल और लोकायुक्त कानून ‘व्यवहारिक’ है. इसका क्रियान्वयन लटकाकर रखना न्यायसंगत नहीं है. इस कानून के अनुसार, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष लोकपाल चयन पैनल का हिस्सा होंगे. इस समय लोकसभा में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं है. जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस नवीन […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 28, 2017 7:21 AM

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वर्ष 2013 का लोकपाल और लोकायुक्त कानून ‘व्यवहारिक’ है. इसका क्रियान्वयन लटकाकर रखना न्यायसंगत नहीं है. इस कानून के अनुसार, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष लोकपाल चयन पैनल का हिस्सा होंगे. इस समय लोकसभा में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं है.

जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस नवीन सिन्हा की पीठ ने शीर्ष अदालत के एक पूर्व फैसले का संदर्भ देते हुए कहा कि हमारा कहना है कि यह व्यवहारिक है. इसे लटकाकर रखना न्यायसंगत नहीं है. इससे पहले, एनजीओ कॉमन कॉज की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने कहा कि संसद ने 2013 में लोकपाल विधेयक पारित कर दिया था. यह 2014 में लागू हो गया था, तब भी सरकार जानबूझकर लोकपाल नियुक्त नहीं कर रही.

इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि मौजूदा स्थिति में लोकपाल को नियुक्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि लोकपाल कानून में नेता प्रतिपक्ष की परिभाषा से जुड़े संशोधन संसद में लंबित पड़े हैं.

कानून में संशोधन की जरूरत

लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के पास सिर्फ 45 सदस्य हैं. यह संख्या कुल सीट संख्या 545 के 10 प्रतिशत की अनिवार्यता से कम है. इससे मौजूदा लोकपाल कानून में संशोधन की जरूरत को बल मिला है.

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