कश्मीर पर पीएम मोदी की खरी-खरी- जान बचाकर भी पत्थर खाते हैं हमारे फौजी

नयी दिल्ली : सिविल सर्विस डे के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफसरों को संबोधित किया और कई सुझाव दिए. इस मौके पर कश्मीर को लेकर पीएम मोदी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि हमारे फौजी कश्मीर में बाढ़ आने पर लोगों की जान बचाते हैं, लोग उनके लिए तालियां बजाते हैं. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 21, 2017 2:07 PM

नयी दिल्ली : सिविल सर्विस डे के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफसरों को संबोधित किया और कई सुझाव दिए. इस मौके पर कश्मीर को लेकर पीएम मोदी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि हमारे फौजी कश्मीर में बाढ़ आने पर लोगों की जान बचाते हैं, लोग उनके लिए तालियां बजाते हैं. लेकिन बाद में हमारे फौजी पर पत्थर भी बरसाये जाते हैं. पीएम मोदी ने कहा कि सभी को आत्मचिंतन करने की जरूरत है, इसमें किसी प्रकार की कोताही नहीं बरतनी चाहिए.

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कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर देकर कहा है कि सुधारों को लेकर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी उनमें नहीं है. उन्होंने लोकसेवकों से कहा है कि वे आपस में समन्वय बढाते हुए और एकसाथ मिलकर काम करें एवं बदलाव लाएं. इस अवसर पर नौकरशाहों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि अब समय आ गया है कि कुछ हटकर सोचा जाए और सरकार एक नियामक की जगह सक्षम बनाने वाली इकाई के तौर पर सामने आए.

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उन्होंने कहा, कि राजनीतिक इच्छाशक्ति सुधार ला सकती है लेकिन अफसरशाही का काम और जनता की भागीदारी बदलाव ला सकती है. हमें इन सबको एकसाथ लाना होगा. प्रधानमंत्री ने कहा, कि सुधार के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति जरुरी है. मुझमें इसकी कमी नहीं है बल्कि थोडी ज्यादा ही है. मोदी ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों को इस बात का आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि क्या उनका अ नुभव एक बोझ बनता जा रहा है?

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उन्होंने कहा कि अफसरशाही में पदक्रम एक समस्या है, जो कि औपनिवेशिक शासकों से आयी है और ‘‘उसे मसूरी (जहां लोकसेवा अकादमी स्थित है) में छोडकर नहीं आया जाता. प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार की भूमिका बहुत प्रबल है लेकिन पिछले 15 साल में चीजें बदल गयीं हैं. उन्होंने लोकसेवकों से जनता तक पहुंचकर उसके कल्याण के लिए सोशल मीडिया, ई-गवर्नेंस और मोबाइल गवर्नेंस का इस्तेमाल करने के लिए भी कहा.

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