पढें, अमेरिका में एच-1बी वीजा सुविधा में कटौती का भारत पर क्या पड़ सकता है असर

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका को बाहर से आने वाले कुशल पेशेवरों की तादाद में कटौती के मामले में संतुलित और दूरदृष्टि रवैया अपनाने की सलाह दी है. यह भी कहा कि आज अमेरिकी समाज व अर्थव्यवस्था जिस मुकाम पर है,उसमें भारतीय पेशवरों का बड़ा योगदान है. ट्रंप प्रशासन की ओर से […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 22, 2017 7:59 AM

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका को बाहर से आने वाले कुशल पेशेवरों की तादाद में कटौती के मामले में संतुलित और दूरदृष्टि रवैया अपनाने की सलाह दी है. यह भी कहा कि आज अमेरिकी समाज व अर्थव्यवस्था जिस मुकाम पर है,उसमें भारतीय पेशवरों का बड़ा योगदान है. ट्रंप प्रशासन की ओर से एच-1बी वीजा में कटौती के इरादे के मद्देनजर प्रधानमंत्री का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है. माना जा रहा है कि अमेरिका में एच-1बी वीजा सुविधा में कटौती का भारतीय सॉफ्टवेयर क्षेत्र के पेशेवरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

मंगलवार को अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल से दिल्ली में मुलाकात के दौरान मोदी ने ट्रंप के साथ हुई उनकी सकारात्मक बातचीत का जिक्र किया. साथ ही दोनों देशों में गहरे हुए संबंधों की ओर ध्यान दिलाया. बदलाव के इस दौरे में भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में बेहतर होंगे. पीएमओ के एक बयान में कहा गया है कि पीएम मोदी ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर भारत-अमेरिका साझेदारी को समर्थन करने के लिए अमेरिकी सांसदों को धन्यवाद दिया.

क्या है नया कायदा

एच-1बी वीजा पर अमेरिका ने एक बिल तैयार किया है. इसके तहत एच-1बी वीजा उन्हीं पेशेवरों को मिलेगा, जिनका न्यूनतम वेतन एक लाख 30 हजार अमेरिकी डॉलर होगा. अभी यह सीमा 60 हजार अमेरिकी डॉलर है. ट्रंप ने कार्यभार ग्रहण करने के बाद एच-1बी और एल1 जैसे वीजा कार्यक्रमों की नये सिरे से समीक्षा का फैसला किया था.

भारत पर असर

करीब 86 प्रतिशत भारतीयों को एच-1बी वीजा कंप्यूटर और 46.5 प्रतिशत को इंजीनियरिंग पोजीशन के लिए दिया गया है. 2016 में 2.36 लाख लोगों ने इस वीजा के लिए आवेदन किया था. अमेरिका से वर्तमान में हर साल 65,000 एच1बी वीजा जारी किये जाते हैं.

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