अफस्पा के खिलाफ लड़ाई नहीं छोड़ी, सिर्फ रणनीति बदली है : इरोम शर्मिला

इंफाल. मणिपुर में मानवाधिकार को लेकर 16 साल तक अनशन करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने कहा कि अफस्पा के खिलाफ उनकी लड़ाई अब भी जारी है. उन्होंने अपनी लड़ाई नहीं छोड़ी है, बल्कि अपनी रणनीति में बदलाव किया है. इरोम ने कहा कि लोगों का एक तबका सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून यानी आफ्सपा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 19, 2017 5:13 PM

इंफाल. मणिपुर में मानवाधिकार को लेकर 16 साल तक अनशन करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने कहा कि अफस्पा के खिलाफ उनकी लड़ाई अब भी जारी है. उन्होंने अपनी लड़ाई नहीं छोड़ी है, बल्कि अपनी रणनीति में बदलाव किया है. इरोम ने कहा कि लोगों का एक तबका सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून यानी आफ्सपा के खिलाफ 16 साल लंबे अनशन के दौरान उनकी शाहदत चाहता था. इसलिए अपने इस अनशन को उन्होंने पिछले साल खत्म करने का फैसला किया था. इरोम इस बार मणिपुर विधानसभा का चुनाव भी लड़ रही हैं.

गौतलब है कि इरोम ने अनशन तोड़ने के बाद पीपल्स रीसर्जेंस एंड जस्टिस एलांयस (पीआरजेए) का गठन किया और इस माह को रहे विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है. उनका एक मात्र चुनावी एजेंडा मणिपुर से अफस्पा को हटाना है. उन्होंने कहा कि अगर हममें से कोई जीतता है, तो हम विधानसभा में अफस्पा पर लोगों की आवाज होंगे.

यह पूछे जाने पर कि उनकी पार्टी पीआरजेए ने सिर्फ तीन उम्मीदवार ही क्यों उतारे और अगर वे जीतते हैं, तो क्या 60 सदस्यों वाली विधानसभा में कोई बड़ी भूमिका निभा सकेंगे, इरोम ने कहा, हम सरकार को सवालों के जरिये मजबूर करेंगे. गौरतलब है कि इन तीन उम्मीदवारों में खुद इरोम भी हैं. इरोम थोबल विधानसभा सीट से मणिपुर के मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह और भाजपा के एल बशंता सिंह के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं.

यह पूछे जाने पर कि अगर उन्हें चुनाव में कामयाबी नहीं मिलती है, तो वह क्या करेंगी, इरोम ने कहा, भले ही हम इसमें नाकामयाब हो जाएं, पर हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे. हम राजनीति में रहेंगे और अगला संसदीय चुनाव लड़ेंगे. इरोम ने कहा कि अफस्पा कभी चुनावी मुद्दा नहीं रहा. वह इसे न केवल चुनावी मुद्दा बना रही हैं, बल्कि मानवाधिकार के गंभीर उल्लंघन के रूप में इसे स्थापित कर रही हैं.

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